सात सितंबर 2022 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कन्याकुमारी के जिस स्थान विवेकानंद मैमोरियल से अपनी भारत जोड़ो यात्रा शुरू की गई थी वहीं पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ध्यानमुद्रा में भगवान को याद किया गया। अगर ध्यान से देखें तो यहां पर पीएम का पूजा पाठ किया जाना किसी भी रूप में गलत नहीं कह सकते। करोड़ों सनातन धर्म को मानने वालों की आस्था ध्यान धर्म में बनी हुई है। फिर भी पता नहीं किस कारण से तमिलनाडु कांग्रेस द्वारा पीएम के ध्यान पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई और इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया जा रहा है। मेरी समझ में नहीं आता कि पिछले दिनों यहीं के एक नेता द्वारा सनातन धर्म के विपरीत अनेक टिप्पणियां की गई थी तब कांग्रेस और अब पीएम के पूजा पाठ को लेकर मुखर हो रही हैं। मैं ना कांग्रेस विरोधी हूं ना भाजपा समर्थक लेकिन हर दल और समूहों में सभी धर्मो के मानने वाले शामिल रहते हैं तो फिर क्या कांग्रेस को धर्म विरोधी कहा जा सकता है। तो मुझे ऐसा तो नहीं लगता लेकिन सोनिया गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी की तमिलनाडु ईकाई से जवाब तलब करना चाहिए क्योंकि ऐसे कार्यों से इस पार्टी की छवि हिंदू विरोधी बनते जाने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश की इस टिप्पणी पर मैं कुछ कह सकता जो उन्होंने कहा कि मोदी इस बात पर ध्यान दे रहे होंगे कि सेवानिवृति के बाद जीवन कैसा होगा। क्योंकि इसमें कोई दो राय नहीं है। जब भी कोई व्यक्ति धार्मिक दृष्टिकोण अपनाता है तो उसमें कुछ ना कुछ सोचे होती ही है।
खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी में थे। उन्होंने यहां तीन दिन विवेकानंद मेमोरियल में ध्यान एवं प्रवास किया। इस पर, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि राजनीति में धर्म को नहीं लाना चाहिए। राजनीति और धर्म अलग-अलग विषय है। पीएम मोदी वहां कन्याकुमारी में क्या ड्रामा कर रहे हैं, वहां करीब 10 हजार लोग हैं। यह देश के पैसे की बर्बादी है। देश में आचार संहिता लागू है। इसका खर्च कौन उठाएगा। अगर आपको इतनी ही आस्था है तो आप अपने घर पर यह काम करें। अपनी जेब से खर्च उठाएं।
भगवा कुर्ते और गमछा में दिखे पीएम मोदी
बता दें, पीएम मोदी के ध्यान का आज तीसरा दिन है। उन्होंने सुबह सूर्योदय के समय उन्होंने सूर्य को अर्घ्य दिया। पीएम मोदी के ध्यान का एक वीडियो सामने आया है, वीडियो में पीएम मोदी भगवा कुर्ता और गमछे में दिख रहे हैं। वे स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के समक्ष बैठकर ध्यान कर रहे हैं। उनके हाथों में माला है और ओम की आवाज गूंज रही है। इस ध्यान मंडपम की खास बात यह है कि यह वही स्थान है, जहां स्वामी विवेकानंद ने देश भ्रमण के बाद तीन दिनों तक ध्यान किया था। यहीं उन्होंने विकसित भारत का सपना देखा था। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर देवी पार्वती ने एक पैर पर खड़े होकर साधना की थी।
एक दिन पहले कन्याकुमारी पहुंचे थे
पीएम मोदी बीते गुरुवार को कन्याकुमारी पहुंचे थे। प्रधानमंत्री धोती पहने दक्षिण भारत की पारंपरिक पोशाक में दिखे। उन्होंने ऑफ-व्हाइट रंग का शॉल ओढ़ रखा था। कन्याकुमारी पहुंचने के बाद भगवती अम्मन मंदिर में प्रार्थना और पूजा-अर्चना की। बता दें, आम चुनाव का प्रचार थमने के बाद पीएम मोदी हर बार आध्यात्मिक यात्रा पर जाते हैं और 2019 के चुनाव प्रचार के बाद वे केदारनाथ गए थे और साल 2014 में वे शिवाजी महाराज से संबंधित प्रतापगढ़ गए थे।
ऐसे में कानून क्या कहता है क्या नहीं यह तो विद्वान ही जान सकते हैं लेकिन धार्मिक दृष्टि से जो पता चलता है उससे यही लगता है कि पीएम ने किसी भी निर्वाचन नियम का उल्लंघन नहीं किया है। क्योंकि कहीं भी यह नहीं छपा कि उन्होंने मीडिया को बुलाकर कोई बयान दिया हो। मौन ध्यानमग्न होना सबका अधिकार है। मन मतिष्क की शांति के लिए हर आदमी को ऐसा करना चाहिए तो फिर पीएम क्यों नहीं कर सकते। जहां तक उनके छप रहे फोटो की बात है तो वो देश के प्रधानमंत्री है दुनिया के बड़े नेताओं में शुमार हैं। अब अगर मीडिया अपनी तरफ से प्रयास कर कुछ प्राप्त कर उससे जनता को अवगत कराता है तो इसमें पीएम कहां दोषी हुए। आज सुबह उनका ध्यान कार्यक्रम संपन्न हो गया। कुछ लोगों का कहना कि उस समय वहां दस हजार लोग थे यह कोई महत्व नहीं रखता क्योंकि ऐसी जगह लाखों लोग भी जुटते हैं । जहां तक खर्च की बात है तो ऐसी जगह पर सामाजिक संगठन और दानवीर भंडारा चलाते हैं इसलिए पीएम की यात्रा पर खर्च किसका हुआ इस बात को लेकर किसी को भी फिक्रमंद नहीं होना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
पीएम मोदी का ध्यानमग्न, तमिलनाडु कांग्रेस का विरोध है गलत! सोनिया जी ध्यान दें, सनातन धर्म विरोधी ना बन जाए पार्टी की छवि
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