asd पीएम मोदी ने अबू धाबी में हिंदू मंदिर का किया उद्घाटन

पीएम मोदी ने अबू धाबी में हिंदू मंदिर का किया उद्घाटन

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अबू धाबी 15 फरवरी। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में हिंदू मंदिर का उद्घाटन संपन्न हो गया है। इस मंदिर के उद्घाटन में पीएम नरेंद्र मोदी पहुंचे। उन्होंने यहां पूजन किया। यह मंदिर पश्चिम एशिया में आकार के हिसाब से सबसे बड़ा है। इस मंदिर के सात शिखर हैं जो सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर में खाड़ी देश के लिहाज से ऊंटों की नक्काशी और राष्ट्रीय पक्षी बाज भी पत्थरों पर बना है। दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के पास बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) की ओर से निर्मित यह हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बना है। इस मंदिर को बनाने में 700 करोड़ रुपए की लागत लगी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी में मंदिर के निर्माण से लेकर इसके पूरा होने तक इसमें शामिल स्वयंसेवकों और प्रमुख योगदानकर्ताओं से मुलाकात की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को UAE के अबु धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्धाटन किया। उन्होंने यहां पूजन किया। इसके बाद मंदिर प्रांगण में बने हॉल में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा- आज मैं प्रमुख स्वामी महाराज का सपना हम पूरा कर पाए हैं। मैं उनके शिष्य भाव से आपके सामने उपस्थित हूं। आज बसंत पंचमी है। ये मां सरस्वती का पर्व है। यह चेतना की देवी हैं। जिन्होंने हमें सहयोग, समन्यव और सौहार्द्र जैसे मूल्यों को जीवन में उतारने की समझ दी है। मुझे आशा है कि मंदिर भी मानवता के लिए और बेहतर भविष्य के लिए बसंत का स्वागत करेगा। मंदिर पूरी दुनिया के लिए सांप्रदायिक सौहार्द्र और वैश्विक एकता का प्रतीक बनेगा। मैं यूएई के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का आभारी हूं। इस मंदिर के निर्माण में यूएई सरकार की जो भूमिका रही, उसकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है। इस मंदिर को बनाने में सबसे बड़ा सहयोग मेरे ब्रदर शेख मोहम्मद बिन जायद का है। यूएई ने इतने बड़े बजट से करोड़ों भारतीयों की इच्छा को पूरा किया है। इन्होंने 140 करोड़ हिंदुस्तानियों की दिल को जीत लिया है।

स्वामी के विचार से लेकर इसके साकार होने तक पूरी यात्रा में मैं सबसे जुड़ा रहा हूं। ये मेरा सौभाग्य है। मो. बिन जायद की इस उदारता के लिए धन्यवाद शब्द बहुत छोटा लगता है। इतना बड़ा काम उन्होंने किया। उनके इस योगदान के लिए भारत-यूएई एकता के लिए ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व इसे जाने। मैंने भारत के लोगों की इच्छा उनके सामने रखी तो उन्होंने तुरंत मेरे प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। उसके लिए जमीन उपलब्ध कराई और इसके आड़ में आने वाली हर समस्या का समाधान किया। उन्होंने मंदिर का हमें दो मॉडल दिखाया। संतों ने कहा कि यूएई की सरकार जिस मॉडल को स्वीकार करेगा, वही ठीक रहेगा। मगर यूएई सरकार ने कहा कि मंदिर सिर्फ बने नहीं, बल्कि वैसा दिखे भी। यह मंदिर पूरे गौरव के साथ बने। भारत से बंधुत्व की ये भावना वाकई हमारी बहुत बड़ी पूंजी है। मंदिर की भव्यता में शेख मोहम्मद की विशाल सोच की झलक है। अब तक जो यूएई, बुर्ज खलीफा के लिए ही जाना जाता था, अब उसकी विरासत में एक और नया सांस्कृतिक अध्याय जुड़ गया है।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं यूएई सरकार को इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं। मैं यूएई को प्रेसिडेंट को आप सबके साथ स्टैंडिंग ओवेशन देता हूं। बहुत धन्यवाद। मैं यूएई के लोगों का भी उनके सहयोग के लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। भारत और यूएई की दोस्ती को आज पूरी दुनिया में आपसी सहयोग और विश्वास के उदाहरण के तौर पर देखा जाता है। बीते वर्षों में हमारे संबंधों ने एक नई ऊंचाई हासिल की है। भारत इन रिश्तों को वर्तमान संबंध में केवल नहीं देखता, हमारे लिए रिश्तों की ये जड़ हजारों वर्ष पुरानी है। अरब भारत के लिए व्यापार के लिए अहम भूमिका निभाता रहा है। यह भारत-गुजरता के बीच व्यापार का अहम केंद्र होता था। यहीं से सांस्कृतिक विचारधारा और समागम की नई विचारधाराएं निकलती हैं। इसलिए ये मंदिर बेहद महत्वपूर् है। इस मंदिर ने हमारे अंदर नई सांस्कृतिक ऊर्जा भर दी है। यह केवल एक उपासना स्थल नहीं है। यह मानवता की साझी विरासत के हेरिटेज का प्रतीक है। यह भारत और यूएई के रिश्तों का भी प्रतीक है। इसमें भारत और यूएई का अद्भुद निर्माण प्रतिबिंब भी है। मैं बीएपीए संस्था का भी धन्यवाद करता हूं।

पीएम मोदी ने कहा कि यह मंदिर भगवान स्वामी नरायण की कृपा का प्रतीक है। मैं देश विदेश के सभी श्रद्धालुओं को बधाई देता हूं। साथियों ये समय भारत के अमृतकाल का समय है। यह हमारी सभ्यता और संस्कृति के लिए भी अमृतकाल का समय है। अभी पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सदियों पुराना सपना पूरा हुआ है। रामलला अपने भवन में विराजमान हुए हैं। पूरा भारत और हर भारतीय उस प्रेम में , उस भाव में अभी तक डूबा हुआ है। अभी मेरे मित्र स्वामी जी कह रहे थे कि मोदी जी तो सबसे बड़े पुजारी हैं। मैं जानता नहीं हूं कि मैं मंदिरों की पुजारी की योग्यता रखता हूं या नहीं, लेकिन मैं इस बात का गर्व रखता हूं कि मैं मां भारती का पुजारी हूं।
परमात्मा ने मुझे जो समय दिया है उसका हर पल और जो शरीर दिया है, उसका कण-कण सिर्फ और सिर्फ मां भारती के लिए है। 140 करोड़ देशवासी मेरे आराध्य देव हैं। साथियों अयोध्या के मेरे उस परम आनंद को आबू धाबी में मिली खुशी की लहर ने और बढ़ा दिया। ये मेरा सौभाग्य है कि पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर और अब आबूधाबी में इस मंदिर का साक्षी बना हूं। एक ही ईश्वर को, एक ही सत्य को विद्वान लोग अलग-अलग तरह से बताते हैं। यह दर्शन भारत की मूल चेतना का हिस्सा है। इसलिए हम स्वभाव से ही न केवल सबको स्वीकार करते हैं, बल्कि सबका स्वागत भी करते हैं। हमें विविधता में बैर नहीं दिखता, हमें विविधता ही विशेषता लगती है। वैश्विक चुनौतियों में यह विचार मानवता के हमारे विचारों और विश्वास को मजबूत करता है। मंदिर की दीवारों पर हिंदू धर्म के साथ साथ इजिप्ट और बाइबल की कहानियां भी उकेरी गई हैं। इसमें प्रवेश करते ही एकता का दर्शन होता है। इसमें बहुरा समाज, पारसी धर्म, सिख धर्म समेत सभी धर्म संप्रदाय के लोगों का बड़ा योगदान है। यही भारत के लोगों को स्वभाव भी है। हम जहां जाते हैं वहां के सांस्कृतिक मूल्यों को सम्मान देने के साथ आत्मसात भी करते हैं। यही भाव शेख मोहम्मद में भी साफ दिखता है।

पीएम मोदी ने कहा कि इस भव्य और पवित्र जगह से मैं एक और खुशखबरी देना चाहता हूं। आज यूएई के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति ने भारतीयों के लिए एक अस्पताल बनाने के लिए जमीन देने की घोषणा की है। इसके लिए मैं उनका और शेख मो. बिन जायद का हृदय से स्वागत करता हूं। हमारे मंदिर शिक्षा और संकल्पों के केंद्र रहे हैं। हम मंदिरों से ये उद्घोष करते हैं कि प्राणियो में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो। वहां हम समस्त तु वसुधैव कुटुंबकम भी सीखते हैं। यानि समस्त धरती हमारा परिवार है। जी-20 में हमने इसे साकार कर दिखाया है। सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयः के विजन के साथ भारत काम कर रहा है। भारत इस दिशा में सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास और सबका विश्वास के पटल पर काम कर रहा है। यह मंदिर इस संदेश को दुनिया में पहुंचाने के लिए सबको ऊर्जा देगा। इसे मैं पूरी मानवता के लिए समर्पित करता हूं। पूज्य स्वामी को प्रणाम करता हू। सभी भक्तों को जय श्री स्वामी नरायण।

मंदिर की खासियत
अबू धाबी में बने इस मंदिर को करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है. इस मंदिर को बीएपीएस संस्था के नेतृत्व में बनाया गया है. बीएपीएस एक ऐसी संस्था है, जिसने दुनियाभर में 1,100 से ज्यादा हिंदू मंदिरों का निर्माण किया है. ये मंदिर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी काफी बड़ा है. मंदिर को भव्य बनाने के लिए राजस्थान में पत्थरों पर नक्काशी की गई है. मंदिर के मध्य खंड में स्वामी नारायण के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी. मंदिर का निर्माण जयपुर के पिंक सैंड स्टोन से हुआ है. यह वही पत्थर है, जिससे अयोध्या में मंदिर बनाया गया है. संगमरमर से बने मंदिर के हर स्तंभ पर हनुमान जी, राम जी, सीता जी, गणेश जी की प्रतिमा उकेरी गई है. मंदिर के बाहरी स्तंभों पर सीता स्वयंवर, राम वनगमन, कृष्ण लीलाएं आदि शामिल हैं. भारत और UAE की संस्कृतियों का संगम दिखाने के लिए मंदिर में 7 मीनारें बनाई गई हैं.
इस मंदिर में तापमान मापने और भूकंपीय गतिविधि पर नजर रखने के लिए उच्च तकनीक वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं.. मंदिर के निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और नींव को भरने के लिए फ्लाई ऐश (कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख) का उपयोग किया गया है.मंदिर के दोनों ओर गंगा और यमुना का पवित्र जल बह रहा है जिसे बड़े-बड़े कंटेनर में भारत से लाया गया है.

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