जांच चल रही है, जांच करा रहे हैं, जांच उपरांत कार्रवाई की जाएगी अभी जांच रिपोर्ट आई है उसकी समीक्षा कर निर्णय लिया जाएगा। ऐसे शब्द आए दिन मीडिया में पढ़ने सुनने देखने को मिलते हैं। लेकिन उस पर कार्रवाई कब होगी या क्या हुई यह कोई नहीं बताता। पाठकों के सामने जब अखबारों के पन्ने खुलते हैं तो अवैध निर्माणों को लेकर मेडा में प्रदर्शन, अधिकारी बोले जांच उपरांत कार्रवाई होगी। कई सौ लोगों को थाईलेंड टूर पर भेजा। टैवेलर कंपनी संचालक ने करोड़ों हड़पें, जांच कराकर कार्रवाई होगी। मुजफ्फरनगर के डीएसओ कार्यालय में जाम झलकाने का मामला डीएम बोले बैठाई जांच अवैध रूप से शराब पिलाए जाने स्टांप घोटाले बिना लैंड यूज बदलवाये कृषि भूमि पर स्कूलों का संचालन फर्जी डिग्री से डॉक्टर बने ई रिक्शा संचालन की नीति क्यों लागू नहीं हो रही फर्जी तरीके से चालान के नाम पर वसूली, जांच होगी आखिर हर मामले में चाहे वह सरकारी नीतियों का उल्लंघन हो या अवैध निर्माण और कच्ची कॉलोनियों का विकास। अवेैध वसूली हो या कोई और विषय। हर मामले में रटा रटाया उत्तर जांच होगी कार्रवाई करेंगे। यह सुनते और पढ़ते नागरिकों के अब कान पक चुके हैं। कुछ जागरूक नागरिकों का कहना है कि कार्रवाई कराने और दोषियों को सजा दिलाने के प्रयास करने के साथ सिर्फ जांच कराने के नाम पर शांत बैठ जाने वाले उन हुक्मरानों के खिलाफ भी कार्रवाई कराने का प्रयास किया जाएगा जो जांच कराने के नाम पर मामला हजम कर जाते हैं और डकार भी नहीं लेते। पीएम मोदी द्वारा लापरवाही भ्रष्टाचार आदि की समाप्ति के लिए कई अभियान चलाए और चलवाए जा रहे हैं। यूपी के सीएम योगी भी भरपरू कोशिश कर रहे हैं लेकिन स्थानीय निकायों विकास प्राधिकरण में करोड़ों के घपले दस दस साल पुरानी योजनाएं लागू ना होना और नीतियों का उल्लंघन कराकर बैंक बैलेंस बढ़ाने की प्रवृति पीएम सीएम की भावनाओं से जुड़े अभियानों को भी सफल नहीं होने दे रहे हैं। मेरा मानना है कि गृह मंत्रालय और भ्रष्टाचार निवारण विभाग के अफसरों को सरकारी योजनाओं को लागू कराने राजस्व चोरी रोकने के लिए यह जांच व्यवस्था के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए और रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई के लिए समय निर्धारण हो। बताते हैं कि सरकार जो योजनाएं बना रही है उनमें से ज्यादातर कुछ अधिकारियों की माल कमाने की बढ़ती इच्छा की भेंट चढ़ रही बताई जाती है और जब कोई मुददा सामने आता है तो यह कहकर चुप करा दिया जाता हे कि जांच कराकर कार्रवाई होगी। आखिर यह कार्रवाई इतनी विकराल कैसे हो गई कि उनके खिलाफ कोई निर्णय ही नहीं हो पा रहा। पीएम जनहित और योजनाओं को लागू कराने के लिए जांच कराने वाले हुक्मरानों की कार्यप्रणाली की समीक्षा कर इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए वरना हर योजना जांच के चक्रव्यूह और फाइलो में दबकर ऐसे ही गुम होती रहेगी जैसा आजकल दिखाई दे रहा है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
पीएम और सीएम साहब कान पक गए हैं जांच उपरांत कार्रवाई होगी सुनते सुनते, सरकार और जनहित में लिया जाए निर्णय
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