asd आवारा जानवरों से पीड़ित लोगों को आना चाहिए आगे! सांड की टक्कर से मरे युवक के मामले में ईओ शामली पर 3 लाख 10 हजार का लगा जुर्माना

आवारा जानवरों से पीड़ित लोगों को आना चाहिए आगे! सांड की टक्कर से मरे युवक के मामले में ईओ शामली पर 3 लाख 10 हजार का लगा जुर्माना

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वर्ष में शायद ही कोई एक दिन ऐसा भाग्यवान होता हो जिस दिन मीडिया में किसी आवारा जानवर के हमले में नागरिकों के घायल होने या मरने की खबर ना मिलती हो। गत दिवस और आज भी रूड़की रोड स्थित शीलकुंज कॉलोनी में अपने ताऊ रियाटर्ड इंजीनियर बीडी कांबोज के घर आए ऋषभ को कुत्ते ने लहुलूहान कर दिया तो शामली में कुत्तों द्वारा एक नागरिक पर हमला किए जाने की खबर पढ़ने को मिली। लोकसभा और विधानसभा जैसे सदनों जहां कानून बनाए जाते हैं उनमें भी यह मुददा उठ चुका है। मगर जितना देखने को मिलता है उसके हिसाब से सरकार विभागों को बजट देती है। वन विभाग और नगर निगम के अधिकारी कुछ परेशानियां दर्शाकर या एक दूसरे पर टालकर अपने कार्य की इतिश्री कर ली जाती बताई जाती है। कुछ लोग एनिमल सुरक्षा के नाम पर जो हंगामा करते हैं वो भी इन जानवरों के हमले के लिए पूरी तौर पर दोषी कहे जा सकते हैं क्यांेकि जब कोई पीड़ित किसी जानवर के साथ कुछ करता है तो यह जाकर हंगामा करने के साथ ही उसके खिलाफ एफआईआर कराते हैं और हंगामा करते है। आम आदमी किसी विवाद में ना पड़ने के चक्कर में हजारों रूपये के इंजेक्शन खरीदकर उन्हें लगवाकर अपने घर बैठ जाता है और जिन विभागों की यह घटनाएं रोकने की जिम्मेदारी हैं वह अपनी तरफ से कुछ करने की बजाय मूकदर्शक बने रहते हैं। इन्हीं वजह से कुत्ते बिल्ली, बंदर, तेंदुए या भेड़िए आदि का शहरों और गांवों में होेने की सूचना बढ़ती जा रही हैं।
गत दिवस शामली में मालैंडी गांव के रहने वाले सूरजबली ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में याचिका दायर करते हुए बताया कि उसका पुत्र प्रवीण कुमार तीन सितंबर 2017 को अपनी बाइक से गांव आ रहा था। जब वह रात करीब 8ः30 बजे शामली के सेंट आरसी स्कूल के पास पहुंचा तो अचानक एक गोवंश सड़क पर आ गया। जिसकी टक्कर से प्रवीण बाइक से सड़क पर जा गिरा, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। लोगों ने प्रवीण को सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया मगर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिवार के अवनीश ने मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कहा कि नगर पालिका परिषद का अनिवार्य कार्य है कि बेसहारा पशुओं को पकड़कर किसी सुरक्षित स्थान पर रखा जाए, जिसका निर्वहन अधिशासी अधिकारी द्वारा नहीं किया गया है। इसी उपेक्षा के कारण उसके पुत्र को जान से हाथ धोना पड़ा है। ईओ द्वारा अपने दायित्व निर्वहन करने में लापरवाही व सेवा में कमी की गई है।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता, सदस्य अभिनव अग्रवाल ने आदेश सुनाते हुए कहा कि ईओ शामली को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को हुई मानसिक, आर्थिक, शारीरिक, क्षतिपूर्ति के लिए दो लाख रुपये तथा वाद खर्च दस हजार रुपये परिवादी को अदा करने हेतु आयोग में जमा करें। इसके अलावा एक लाख का अर्थदंड लगाया जाता है। विपक्षी 45 दिन के अंदर आदेश का पालन करे, वरना उसके विरुद्ध धारा 71 तथा 72 के अंतर्गत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
– आयोग ने यह की टिप्पणी
जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष हेमंत गुप्ता ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रकरण में नगर पालिका शामली के अधिशासी अधिकारी द्वारा सेवा में कमी एवं घोर लापरवाही एवं उपेक्षा की गई है। नागरिकों को दोष रहित सेवा प्रदान करना नगर पालिका का अनिवार्य कृत्य है और इन सेवाओं के लिए नगर पालिका द्वारा टैक्स वसूला जाता है।
– यह बोले युवक के पिता
सूरजबली ने कहा कि उसके पुत्र की तरह ही बहुत से लोग सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशुओं की टक्कर के कारण मर जाते हैं या फिर घायल हो जाते हैं। जिन पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर स्थानीय अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है। मगर जिम्मेदार अधिकारियों ने आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। नगर पालिका के अधिकारियों द्वारा अक्सर नियमों की लापरवाही व अनदेखी देखी जाती है। इसी कारण मैंने आठ साल तक लंबी लड़ाई लड़ी, अब जाकर इंसाफ मिला है।
– रेबीज से व्यक्ति की मौत पर ईओ पर लगाया था तीन लाख का जुर्माना
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग शामली ने 23 मई 2025 को रेबीज से व्यक्ति की मौत होने के मामले में नगर पालिका कांधला के अधिशासी अधिकारी पर तीन लाख रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश सुनाया था। यह मामला भी जिले में पहला था।
मुझे लगता है कि उपभोक्ता अदालत द्वारा शामली ईओ पर लगाए गए तीन लाख दस हजार के जुर्माने की घटना को दृष्टिगत रख अगर हम किसी जानवर के हमले के बाद उससे संबंध विभाग वन विभाग या नगर निगम के खिलाफ वाद दायर करने के साथ ही कुत्ते पालने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराएं और पीड़ा पहुंचाने वाले जानवर के सर्मथकों के खिलाफ नामजद एफआईआर कराई जाए तो जो घटनाएं हो रही है उन पर रोक लग सकती है।
हम सभी जीव जंतुओं के विरोधी नहीं हैं। इन्हें पालने और संरक्षण देने वाले नियमों का पालन करें और इन्हें रहने खाने के लिए व्यवस्था कर इनकी सफाई खुद करंे सड़कों पर कराने की बजाय तो इससे किसी को ऐतराज नहीं होगा। पीड़ित व्यक्ति और उसके परिजनों को थाने में एफआईआर या डीएम के यहां प्रार्थना पत्र देना होगा। मुझे लगता है कि ऐसी घटनाएं खत्म तो नहीं लेकिन लगभग 80 प्रतिशत घटनाएं समाप्त हो सकती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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