प्रयागराज 03 जून। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद की याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने पतंजलि आयुवर्वेद कंपनी के खिलाफ 273.5 करोड़ रुपए की सीजीएसटी वसूली की कार्रवाई को वैध करार दिया है. साथ ही अधिकारियों को धारा 122 की कार्यवाही जारी रखने की छूट दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने दिया. याचिका में कंपनी पर पेनाल्टी लगाकर जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गई थी.
याचिका के माध्यम से पतंजलि आयुर्वेद कंपनी की ओर से कहा गया, कि धारा 74 में मुख्य व्यक्ति पर अभियोजन की कार्यवाही खत्म कर दी गई है. इसलिए धारा 122 की पेनाल्टी की कार्यवाही भी समाप्त हो जाएगी. हालांकि, हाईकोर्ट ने इस तर्क को भ्रामक मानते हुए अस्वीकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि धारा 122 की कार्यवाही अलग है. इसमें सक्षम अधिकारी द्वारा पेनाल्टी वसूली जाती है.
याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, कि धारा 132 से 138 की अभियोजन की कार्यवाही धारा 122 से अलग है. यह कोर्ट में अभियोजन की कार्यवाही है. धारा 122 में अर्थदंड का प्रावधान है, जबकि धारा 132 से 138 में अभियोजन का प्रावधान है, जिसमें आपराधिक कोर्ट की कार्यवाही होगी. इसलिए धारा 74 की कार्यवाही खत्म करने से धारा 122 की कार्यवाही स्वत: खत्म नहीं होगी. कोर्ट ने सीजीएसटी अधिकारियों को धारा 122 की कार्यवाही जारी रखने की छूट दे दी है.
जानकारी के मुताबिक डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (DGGST) इंटेलिजेंस ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसमें 273.5 करोड़ रुपए की पेनाल्टी भी लगाई गई थी. जीएसटी ने जांच में पाया था, कि सभी वस्तुओं के मामले में आपूर्तिकर्ताओं से खरीदी गई मात्राओं की तुलना में बेची गई मात्रा अधिक थी.
जीएसटी विभाग ने कंपनी की उत्तराखंड, सोनीपत, हरियाणा और अहमद नगर, महाराष्ट्र इकाई के खिलाफ अप्रैल 2018 से मार्च 2022 की जीएसटी चोरी पर कार्रवाई की. इन जगहों पर संदिग्ध लेने-देने की जानकारी विभाग को मिली थी. इनपुट ट्रैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की उपयोगिता तो अधिक थी, लेकिन उनके पास आयकर का कोई भी दस्तावेज नहीं पाए गए थे.