लखनऊ 13 मई। उत्तर प्रदेश के बस्ती मंडल में वर्ष 2023-24 के दौरान हुए धान खरीद और सीएमआर डिलीवरी में बड़े पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ है। इस मामले में सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर के निर्देश पर की गई जांच में 11 करोड़ रुपये की अनियमितता पाई गई। जांच में दोषी पाए गए पीसीएफ सिद्धार्थनगर के निलंबित जिला प्रबंधक अमित कुमार चौधरी को अब सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
प्रादेशिक कोऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड में धान खरीद घोटाले के तार जिलों से लेकर प्रदेश मुख्यालय तक जुड़े हैं। एसआईटी जांच में इसके भी सुबूत मिले हैं। मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) को सौंपे जाने के बाद अमित चौधरी से जुड़े अफसर भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं। इसी तरह तत्कालीन एसडीएम, एडीएम और लेखपाल पर भी गाज गिर सकती है, क्योंकि उस वक्त किसान सत्यापन का कार्य इन्हीं के जिम्मे था।
वर्ष 2023-24 में धान खरीद घोटाले की जड़ें काफी गहरी हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बस्ती के जिला प्रबंधक रहते अमित चौधरी को पहले सिद्धार्थनगर का चार्ज दिया गया। फिर सिद्धार्थनगर में नियमित करके बस्ती का चार्ज थमा दिया गया। वह सिद्धार्थनगर ही नहीं बस्ती, संत कबीरनगर सहित अन्य जिलों में भी धान खरीद में चल रहे खेल को संचालित करता रहा। मामला सदन में उठने के बाद जांच शुरू हुई।
सूत्रों के मुताबिक एसआईटी की जांच में जिला प्रबंधक के साथ ही अकाउंटेंट परमानंद उपाध्याय, छह क्रय केंद्र प्रभारी, धान ढुलाई में लगे ठेकेदार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। जांच के दौरान पता चला कि 37 क्रय केंद्र पर धान खरीद में घालमेल किया गया। जांच में लगी पुलिस ने करीब 4200 किसानों के खातों की पड़ताल की है। इसमें पता चला कि कई किसानों ने 63 बार धान बेचा है। इनके खाते एक ही हैं, लेकिन ओटीपी के लिहाज से मोबाइल नंबर बदल-बदल कर प्रयोग किया गया है।
धान बिक्री के संबंध में किसान के ऑनलाइन आवेदन पर लेखपाल रिपोर्ट लगाता है। पांच हेक्टेयर से कम भूमि वालों का सत्यापन एसडीएम और इससे अधिक भूमि वाले किसानों का सत्यापन एडीएम करते हैं। ऐसे में ईओडब्ल्यू की जांच के दायरे में लेखपाल, एसडीएम और एडीएम भी आएंगे।
धान खरीद में पीसीएफ के अधिकारियों के साथ ही क्रय केंद्र प्रभारियों और ढुलाई में लगे ठेकेदारों की भी मिलीभगत रही। बिना धान खरीदे ही ढुलाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए गए है। जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि ढुलाई में 10 ठेकेदार काम कर रहे थे। इसमें से दो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई और वे जेल में हैं।
इसी तरह 37 क्रय केंद्रों में से छह केंद्र प्रभारियों को भी जेल भेजा जा चुका है। अब अन्य क्रय केंद्रों से जुड़े डाटा की भी पड़ताल की जा रही है। इन केंद्रों के दस्तावेज और यहां धान बेचने वाले किसानों का सत्यापन किया जा रहा है। पुलिस अकाउंटेंट की तलाश में लगी है। उसके लखनऊ स्थित आवास पर भी छापे मारे गए, लेकिन वह हाथ नहीं लगा।
मामले में सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने बताया कि पीसीएफ के जिला प्रबंधक सहित अन्य लोगों को निलंबित कर जांच शुरू कराई गई। जिला प्रबंधक को बर्खास्त कर दिया गया है। अन्य दोषी विभागीय अधिकारियों के खिलाफ भी शीघ्र ही कार्रवाई की जाएगी।
अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें