हरिद्वार 26 जून। देश में योग, आयुर्वेद और भारतीय ज्ञान परंपरा को नई बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय और पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने देश के तीन बड़े और नामी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर शिक्षा, चिकित्सा, योग, आयुर्वेद, कौशल विकास, भारतीय ज्ञान परम्परा एवं अन्य क्षेत्रों में सहयोग के लिए आज यानी 26 जून को एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
आचार्य बालकृष्ण ने इस बाबत मीडिया को जानकारी शेयर की है. उन्होंने कहा कि यह शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख पहल है, इसका महत्व औपचारिक समझौते से कहीं अधिक है.
जिन तीन विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया गया है, उनमें है- मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा का राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के दुर्ग का हेमचंद यादव विश्वविद्यालय और मध्य प्रदेश के चित्रकूट स्थित महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय.
पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर इंद्र प्रसाद त्रिपाठी, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी और महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर भरत मिश्रा सहित प्रमुख शैक्षणिक हस्तियां उपस्थित थीं.
इन तीनों कुलपतियों ने भारत की प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करने में पतंजलि के कार्य और राष्ट्रीय विकास में इसकी बढ़ती भूमिका की प्रशंसा की है. उन्होंने आयुर्वेद, योग और भारतीय दार्शनिक विचारों को आधुनिक शैक्षिक जरूरतों के अनुरूप बढ़ावा देने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को प्रशंसनीय बताया.
इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि द्वारा किए जा रहे इस इतिहास लेखन, वनस्पति शास्त्र लेखन, निदान ग्रंथ, विश्व भेषज संहिता सहित अन्य शास्त्रों के विषय में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि ऋषि क्रांति, योग क्रांति तथा शिक्षा क्रांति का यह सफर देश के लाखों लोगों को इस प्रकार लाभान्वित करता रहेगा, ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है। साथ ही वे कहते हैं की युवाओं और शोधकर्ताओं के लिए भी बेहतरीन अवसर है, जो उनके विकास में स्त्रोत बनेगा।