asd पाकिस्तान : चुनाव में अल्पसंख्यकों को वोट न देने का जारी हुआ फतवा

पाकिस्तान : चुनाव में अल्पसंख्यकों को वोट न देने का जारी हुआ फतवा

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इस्लामाबाद 22 जनवरी। पाकिस्तान में अगले महीने होने वाले आम चुनाव से पहले धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाला एक ष्घृणास्पद फतवाष् देश के सोशल मीडिया पर फिर से सामने आया है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची स्थित मदरसा जामिया उलूम इस्लामिया के इस्लामी स्कॉलर्स की तरफ से फतवा जारी किया गया है।

जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, जामिया उलूम इस्लामिया की तरफ से ये फतवा तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की तरफ से जारी किए गये हैं, जिसमें मुस्लिम वोटरों से अपील की गई है, कि चुनाव में अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को वोट ना डालें।
फतवे में अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के बजाय मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनने का आह्वान किया गया है, जिससे पाकिस्तान में चुनावी प्रक्रिया में व्यापक धार्मिक भेदभाव पर बहस फिर से शुरू हो गई है। अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता चमन लाल ने फेसबुक पर फतवे की एक तस्वीर शेयर की है।

यह फतवा इस्लामी कानूनों के तहत गैर-मुस्लिम उम्मीदवार को वोट देने की अनुमति के बारे में एक प्रश्न के जवाब में जारी किया गया था।

चमन लाल ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा है, कि ष्दुनिया मंगल ग्रह तक पहुंचने की होड़ में है और हम फतवे देने में लगे हैं। एक फतवा जारी किया गया है, कि दस लाख से ज्यादा अल्पसंख्यकों की आबादी से वोट लेना जायज़ है, लेकिन आज एक फतवा जारी किया गया है, कि आम चुनाव में अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को वोट देना जायज़ नहीं है। वाह, काजी साहब, आपके नफरत भरे फतवे के लिए।

पाकिस्तान मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है, कि फतवा जारी करने के पीछे दलील दी गई है, कि अगर कोई योग्य मुस्लिम उम्मीदवार होन के बाद भी कोई राजनीतिक पार्टी, किसी हिंदू उम्मीदवार को टिकट देती है, तो ऐसी स्थिति में मुस्लिमों से कहा गया है, कि वो हिंदू उम्मीदवार को वोट ना करें, भले ही वो सीट गैर-मुस्लिमों के लिए आरक्षित ही क्यों ना हो। फतवे में सुझाव दिया गया है, कि मतदाताओं को योग्यता, क्षमता और संतोषजनक पार्टी घोषणापत्र के आधार पर उम्मीदवार चुनना चाहिए। जियो न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है, कि वेरिफिकेशन करने से पता चला है, कि ये फतवा मदरसा के पोर्टल पर भी उपलब्ध है और इस फतवे को पांच साल पहले हुए चुनाव में भी इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, इस बार जो फतवा वायरल हो रहा है, उसमें तारीख नहीं है, लिहाजा ये पता नहीं चल पाया है, कि ये फतवा नया है, या फिर पुराना फतवा ही वायरल हो रहा है।

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