नई दिल्ली 27 नवंबर। इंटरनेट और स्मार्टफोन के बढ़ते चलन के साथ, इन तकनीकों की सुविधाओं के साथ-साथ कई तरह के खतरे भी सामने आए हैं। स्मार्टफोन ने जहां कई काम आसान कर दिए हैं, वहीं इसने स्कैमर्स और साइबर अपराधियों को लोगों को धोखा देने के नए रास्ते भी मुहैया कराए हैं। इसे देखते हुए, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने हाल ही में लोगों को धोखाधड़ी और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने के लिए कई उपाय लागू किए हैं।
ट्राई ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, दूरसंचार कंपनियों को संदेश ट्रेसेबिलिटी लागू करने का निर्देश देना। इस बड़े फैसले की घोषणा सबसे पहले अगस्त में की गई थी, जिसमें वाणिज्यिक संदेशों और ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) पर ध्यान केंद्रित किया गया था। शुरुआत में, दूरसंचार कंपनियों को इन ट्रेसेबिलिटी उपायों को लागू करने के लिए 31 अक्टूबर की समयसीमा दी गई थी, लेकिन JIO, Airtel, VI और BSNL जैसी प्रमुख कंपनियों के अनुरोधों के बाद इस समयसीमा को 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया था। जैसे-जैसे नई समयसीमा नजदीक आ रही है, इन कंपनियों को वाणिज्यिक और ओटीपी संदेशों को ट्रैक करने के लिए ट्राई के नियमों का पालन करना होगा।
TRAI ने बढ़ाई समय सीमा
TRAI ओटीपी मैसेज की ट्रेसेबिलिटी को लागू करने के लिए टेलिकॉम कंपनियों के पास पहले 31 अक्टूबर तक का समय था। जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल की मांग के बाद कंपनी ने इसकी समय सीमा 31 नवंबर तक बढ़ा दी थी। अब जब नवंबर में इसकी समय सीमा समाप्त होने जा रही हैं तो टेलिकॉम कंपनियों को कॉमर्शियल मैसेज और OTP मैसेज को ट्रैक करने के लिए ट्रेसेबिलिटी नियम को लागू करना होगा।
OTP आने में लग सकता है समय
अगर जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल 1 दिसंबर से ट्रेसबिलिटी नियम को लागू करती हैं तो इससे OTP मैसेज आने में समय लग सकता है। ऐसे में अगर आप बैंक या फिर रिजर्वेशन जैसा कुछ काम करते हैं तो आपको ओटीटी पाने में समय लग सकता है। दरअसल TRAI ने इस तरह का कदम इसलिए उठाया है क्योंकि कई बार फेक ओटीपी मैसेज के जरिए स्कैमर्स लोगों के डिवाइस का एक्सेस पा लेते हैं और इससे लोगों को भारी नुकसान होता है। TRAI ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को इसे सख्ती के साथ लागू करने का फैसला लिया है।
1 जनवरी से लागू होगा RoW
अन्य खबरों में, 1 जनवरी, 2025 से एक नया नियम लागू होगा, जिसका असर जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल के ग्राहकों पर पड़ेगा। इन नियमों का उद्देश्य पूरे देश में 5G इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेज़ी लाना है। सरकार ने हाल ही में दूरसंचार अधिनियम के तहत अतिरिक्त नियम पेश किए हैं, जिसके तहत सभी राज्यों को इन बदलावों का पालन करना होगा। राइट ऑफ़ वे (RoW) के नाम से जाना जाने वाला यह नया दिशानिर्देश, देश भर में इंफ्रास्ट्रक्चर की तैनाती करते समय दूरसंचार कंपनियों के लिए मानकीकृत लागतें निर्धारित करता है। वर्तमान में, RoW नियम हर राज्य में अलग-अलग हैं, जिसके कारण पूरे देश में अनुमति और इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना के लिए अलग-अलग शुल्क लगते हैं।