बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और 56 के घायल होने की खबर है। बड़े आयोजन धर्मिक हो या सामाजिक या बिना मतलब किसी को महिमामंडित करने की मंशा से कराए जाने वाले कार्यक्रम जैसा चिन्नास्वामी स्टेडियम का प्रोग्राम था। क्योंकि ना तो ये खिलाड़ी देश के लिए खेले और ना इन्होंने किसी दूसरे में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। आईपीएल में खेले जो पैसा कमाने की व्यवस्था है। इन्हें इतने बड़े स्तर पर सम्मानित करने का क्या औचित्य रहा। और स्टेडियम में मुफत प्रवेश देने की कौन सी आवश्यकता आ पड़ी थी। यह विषय चर्चाओं का है। घटना के बाद जेसा हमेशा होता है दस जून तक राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने रिपोर्ट देने का निर्देश दिया तो 15 दिन में सीआईपी अपनी जांच कर हादसें के कारणों की रिपोर्ट सौंपेगी। सबसे जरूरी है कि इस समारोह की जिम्मेदारी किसने दी। क्या कर्नाटक सरकार या राज्य क्रिकेट संघ ने ऐसा किया। जिसने भी किया उसने इस बारे में नियम नीति का पालन क्यों नहीं किया यह देखा जाना जरूरी है। उससे भी ज्यादा यह है कि बिना सोचे समझे स्टेडियम में अलग अलग समारोह क्यों आयोजित किए गए और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए क्या निर्णय लिया गया था। कर्नाटक सरकार के महाधिवक्ता का कहना हेै कि मुफत प्रवेश के कारण गेट पर भारी भीड़ पहुंची और भगदड़ मच गई। सवाल उठता है कि इस पर पहले ही रोक क्यों नहीं लगाई गई। इस प्रकरण में क्या होगा किसके खिलाफ होगी कार्रवाई सरकार क्या निर्णय लेगी राज्य के गृहमंत्री परमेश्वर का कहना है कि सीएम ने बैठक का घटना के न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं और इसका नेतृत्व बेंगलुरू के उपायुक्त करेंगे। इसके साथ ही आईपीएल चैंपियन आरसीबी ने घटना में मारे गए 11 प्रशंसकों के परिवारों को दस दस लाख रूपये देने का ऐलान किया है। घायलों को भी मदद दी जाएगी। सवाल यह उठ रहा है कि जिनके अपने उनसे बिछड़ गए क्या वो वापस आ पाएंगे या दस लाख की मदद परिवार के लोगों के दुख की भरपाई कर पाएगी। दूसरी तरफ इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है। भाजपा ने सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के इस्तीफे की मांग की है। फिलहाल कर्नाटक के सीएम ने इस मामले में पुलिस कमिश्नर समेत आठ अफसर सस्पेंड कर दिए। आरसीबी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी और कर्नाटक क्रिकेट बोर्ड पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। खबरों से पता चलता है कि इतनी भीड़ के बावजूद एंबुलैंस भी मौजूद नहीं थी और 21 में से सिर्फ 3 गेट खोले गए। जबकि पता था कि मुफत प्रवेश की सूचना पर भारी भीड़ जुटेगी। खबर के अनुसार ज्यादातर घायलों को अस्पताल से छुटटी मिल चुकी है। अब इवेंट कंपनी सहित कई के खिलाफ एफआईआर और जांच चल रही है। कर्नाटक सरकार ने अपनी चूक मानी है और कोर्ट में कहा कि हम तैयार नहीं थे। महाधिवक्ता का कहना है कि न्यायिक जांच 15 दिन में पूरी हो जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। कोर्ट का भी कहना है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए एसओपी का पालन किया जाना चाहिए थाा जो नहीं किया गया। मामले की अगली सुनवाई 10 जून को होगी। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो रहा कि सम्मान समारोह की मंजूरी किसने दी और राज्य या देश का प्रतिनिधित्व ना करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करने की सरकार की क्या पॉलिसी है। अब सरकार कह रही है कि कर्नाटक में अब आगे कार्यक्रमों के लिए एसओपी बनेगी। जिससे ऐसी घटना ना हो पाए। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव का कहना है कि मेरा रोड शो में कभी विश्वास नहीं रहा। मामला गंभीर है। क्योंकि जश्न से ज्यादा जिंदगी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार की प्रतिक्रिया मुख्य कोच गौतम गंभीर ने कहा कि विश्वकप जीतने पर भी ऐसे रोड शो ना हो। सवाल उठता है कि मौत सवाल उठता है कि इन मौतों का जिम्मेदार कौन है।
इस घटना के बाद हमेशा की तरह हर कोई सवाल उठाकर सुझाव दे रहा है। बड़े नेता संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। कुछ संगठन नकद मदद देकर राहत पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सोचने की बात है कि देशभर में साल में कई बार कभी धार्मिक आयोजन तो कभी जनसभाओं में मेलों में जो भगदड़ में मरने की खबरें आती है वो नई नहीं है। सब जानते हैं कि अपनों से बिछड़ने का दुख क्या होता है और इसकी भरपाई नहीं हो सकती। कुछ दिन यह मामले चर्चा में रहते हैं और फिर लोग भूल जाते हैं। जब दूसरी घटना होती है तो फिर पुराना राग हम अलापते हैं मगर इसका स्थायी समाधान खोजे जाने की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मेरा मानना है कि केंद्र व प्रदेश सरकारें ऐसे आयोजनों की अनुमति देने और कार्यक्रम से पूर्व समीक्षाएं करने के लिए एक अलग प्राधिकरण बनाया जाए। ऐसे बड़े आयोजनों के लिए मोटी फीस निर्धारित की जाए जो भविष्य में जरूरत पड़ने पर लोगों के काम आए। यह स्पष्ट हो कि बिना नियमों का पालन किए बिना मानकों के अनुमति ना दी जाए। फिर भी अगर ऐसी घटना होती है तो आयोजकों से मृतकों के परिवारों को एक एक करोड़ का मुआवजा और सरकार उसके परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दे क्योंकि किसी की तैयारी पूरी ना करने और किसी के नियम पूरे ना कराने के लिए दोषी सरकार और आयोजक कहे जा सकते हैं।
मेरा मानना है कि मुश्किल से मिलने वाले मानव जीवन की रक्षा के लिए पीएम खुद एक कमेटी बनाकर उसमें ऐसे लोगों को रखे जो किसी का प्रभाव ना माने। खिलाड़ी हो या कोई और जो अपने लिए पैसा कमाने का काम करते हैं उनके लिए सम्मान समारोह की अनुमति ना दी जाए। क्योंकि एक को अनुमति मिलती है तो दूसरा उसी का हवाला देकर ऐसी मांग करता है। मीडिया से जुड़े लोगों को भी ऐसे मामलों में सतर्कता और संयम बरतना चाहिए क्योकि यह जो महिमामंडन शुरू करते हैं उसी के परिणाम है ऐसे आयोजन और घटनाएं। कहने का आश्य है कि ऐसे मामलों में सभी को जिम्मेदारी समझनी होगी। तभी ऐसे हादसे रूक पाएंगे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मृतकों के परिवार को आयोजक दें एक करोड़ मुआवजा, सरकार दे नौकरी! कर्नाटक जैसी घटनाएं भविष्य में ना हो धार्मिक राजनीतिक हर प्रकार के बड़े आयोजनों की अनुमति देने हेतु सरकार बनाए प्राधिकरण
0
Share.