नई दिल्ली 19 दिसंबर। राज्यसभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को उप-सभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, उप-सभापति ने कहा कि यह नोटिस विपक्ष का गलत कदम है, जिसमें बहुत खामियां हैं और जो सिर्फ सभापति की छवि खराब करने के मकसद से लाया गया है।
उन्होंने अपने जवाब में कहा कि महाभियोग का नोटिस देश के संवैधानिक संस्थानों को बदनाम करने और वर्तमान उपराष्ट्रपति की छवि धूमिल करने की साजिश का हिस्सा है।
संसद के शाीतकालीन सत्र के 10वें दिन (10 दिसंबर) विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। पीसी मोदी ने ही आज उप-सभापति का जवाब सदन में रखा।
उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ नैरेटिव बनाने के उद्देश्य से लाया गया था. उन्होंने बताया कि उस प्रस्ताव में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का नाम भी ठीक से नहीं लिखा गया था. बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव में दस्तावेज और वीडियो को जिक्र नहीं किया गया.
उपसभापति ने कहा, “संसद और उसके सदस्यों की प्रतिष्ठा के लिए चिंताजनक बात ये है कि यह नोटिस मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने के दावों से भरा हुआ है, जिसमें अगस्त 2022 में उनके पदभार ग्रहण करने के समय की घटनाओं का जिक्र किया गया है. नोटिस में प्रामाणिकता की कमी और बाद में सामने आई घटनाओं से पता चला कि यह राजनीतिक प्रचार को चमकाने का एक प्रयास था.”
इस दौरान उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने 2020 के तत्कालीन सभापति वेंकैया नायडू का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “वेंकैया नायडू ने अनुच्छेद 67 (बी) के प्रावधानों के तहत प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने पर पसभापति के समान निष्कासन नोटिस को खारिज कर दिया था.” उपसभापति ने कहा, “संविधान के प्रावधानों, राज्यसभा के नियमों और पिछली कार्रवाईयों को पढ़ने के बाद मैंने पाया कि यह अविश्वास प्रस्ताव सही प्रारूप में नहीं है. इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 90 (सी) के प्रावधानों के अनुसार, किसी प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए 14 दिनों की नोटिस अवधि की आवश्यकता होती है.”