लखनऊ 27 जनवरी। उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में 127837 वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं, लेकिन इनमें से तीन हजार संपत्तियां ही राजस्व रिकॉर्ड में हैं। समय पर नामांतरण की प्रक्रिया ही नहीं पूरी की गई। शासन ने इस संबंध में हाईकोर्ट में पूरी रिपोर्ट रखने के लिए छह माह का और समय मांगा है।
हाईकोर्ट ने दिसंबर 2023 में सरकार को निर्देश दिए कि कितनी सरकारी संपत्तियां गलत ढंग से वक्फ संपत्ति के नाम पर दर्ज हैं, ये जांच करके बताया जाए। शासन की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। वक्फ बोर्ड जितनी संपत्तियां होने का दावा कर रहा है, उनमें से महज 2-2.5 फीसदी का ही तहसील से वक्फ के पक्ष में नामांतरण कराया गया है। यानी, राजस्व रिकॉर्ड में ये संपत्तियां वक्फ के बजाय किसी अन्य नाम से दर्ज हैं।
जबकि, प्रदेश में सुन्नी वक्फ बोर्ड में 124735 और शिया वक्फ बोर्ड में 3102 संपत्तियां दर्ज हैं। नियम है कि वक्फ एक्ट की धारा-37 के तहत जब बोर्ड किसी संपत्ति को वक्फ के रूप में दर्ज करके नोटिफिकेशन जारी करता है, तो उसकी एक प्रति संबंधित तहसील को भेजनी होती है। ताकि, तहसील प्रशासन उस संपत्ति का वक्फ के पक्ष में नामांतरण कर सके या असहमत होने पर कारण सहित वापस कर दे। यह प्रक्रिया नोटिफिकेशन जारी होने के छह माह के भीतर पूरी करना अनिवार्य है।
शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, वक्फ बोर्डों ने धारा-37 के तहत वक्फ संपत्तियां तो घोषित कर दीं, लेकिन नामांतरण के लिए नोटिफिकशन तहसीलों को भेजे ही नहीं गए। नतीजतन, राजस्व रिकॉर्ड में पहले वाला नाम ही चला आ रहा है। अब नए सिरे से यह देखना होगा कि वक्फ दिखाई गई संपत्ति की फसली वर्ष 1359 (सन 1952) के रिकॉर्ड में क्या स्थिति है। उसके बाद ही वक्फ बोर्ड के दावे स्वीकार या अस्वीकार हो सकेंगे।