अपने समय में तीन बार लोकसभा सांसद रहे राजेंद्र अग्रवाल द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों और चुनाव क्षेत्र की प्रगृति में छह साल पूर्व मेरठ के अब्दुल्लापुर में दस करोड़ की लागत से दस किलोवाट क्षमता के आकाशवाणी केंद्र का शिलान्यास किया गया था जो 6180 वर्ग भूमि पर बना। आकाशवाणी केंद्र मेरठ का शुभारंभ मार्च 2019 में किया गया। यहां पर सौ मीटर उंचा टावर भी है जिससे 60 किमी तक आकाशवाणी की आवाज रेडियो पर सुनी जा सकती है। उस समय बताया गया था कि स्थानीय भाषा संस्कृति उभरती प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए यह काम करेगा। लेकिन अपने बनने से लेकर आज तक आकाशवाणी केंद्र अपनी आवाज सुनाए बिना ही शांत बैठा बताया जाता है। अब कहा जा रहा है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय बजट जारी करे तो बात बने। सवाल यह उठता है कि जब इसका उदघाटन हुआ था तब यह शुरू क्यों नहीं हुआ। बजट की कमी थी तो उस समय पूरी क्यों नहीं कराई गई।
एक समय था जब देश में रेडियो ही मनोरंजन और जानकारी के कार्यक्रमों का माध्यम हुआ करता था। सभी बिनाका गीत माला और अन्य कार्यक्रमों को सुनने के लिए उनका इंतजार किया करते थे। आज पूरी दुनिया विश्व रेडियो दिवस मना रही है लेकिन मेरठ उस समय दस करोड़ की राशि जो अब बीस करोड़ हो सकती है खर्च होने के बाद भी आकाशवाणी के कार्यक्रम सुनने से वंचित क्यो।
मैं तो इस बात को नहीं कहता लेकिन रेडियो प्रेमियों का यह कथन कि बजट ना मिलना एक बहाना है। अपने शहर में कुछ स्कूलों द्वारा रेडियो केंद्र चलाए जा रहे हैं और मोटा माल भी कमाने के साथ साथ अपनी मनचाही सामग्री उस पर प्रसारित कर रहे हैं। इन रेडियो स्टेशन को लाने वाले बड़े उ़द्योगपति और स्कूल संचालको के प्रभाव के चलते ही आकाशवाणी केंद्र चालू नहीं हो पाया। भले ही आरोप सही हो या गलत मगर यह तो कहा ही जा सकता है कि इस आकाशवाणी केंद्र पर तैनात अधिकारी और कर्मचारी आखिर अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने में सफल क्येां नहीं हो पाए और उन्हें रेडियो प्रेमियों को मायूस क्यों किया। कई लोगों का यह भी कहना है कि जनता के साथ धोखा किया गया है। दूरसंचार मंत्रालय इस आकाशवाणी केंद्र को शुरू कराए और इस बात की भी जांच हो कि छह साल तक इसकी आवाज बुलंद क्यों नहीं हुई। नागरिकों का यह कहना कि कुछ स्कूलों के रेडियो केंद्र संचालकों की इसमें भूमिका रही उसकी भी जांच होनी चाहिए क्योंकि यह आम आदमी के टैक्सों से मिलने वाली तनख्वाह का दुरूपयोग और अपनी जिम्मेदारियों का विश्वासघात ही कह सकते हेै।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
विश्व रेडियो दिवस पर संगीत प्रेमी पूछ रहे हैं, रेडियो प्रेमियों को क्यो मायूस किया आकाशवाणी केंद्र मेरठ ने
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