मानव हो या पशु दोनों को स्वस्थ और सुखी रहने के लिए चिकित्सकों की आवश्यकता हमेशा ही पड़ती रही है और पड़ती रहेगी। इसीलिए हम भगवान के बाद डॉक्टरों को इस रूप में देखते हैं। लेकिन अब यह भी देखना होगा कि दिन रात नर्सिंग होम अस्पतालों और घरों पर आकर मरीज की सेवा और चिकित्सा उपलबध कराने वाली नर्सों का योगदान भी कम नहीं है। नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। 1965 में हुई नर्सिंग की शुरूआत हुई। तब से निरंतर हर साल दुनिया में नर्सिंग दिवस मनाया जाता है। एक प्रकार से नागरिक इस दिन याद कर सम्मान देते हैं। एक समय था नर्सों के वेतन बहुत कम और काम 18 घंटे होता था। इस समय लाखों की संख्या में नर्से काम कर रही है। कहीं पर इनका काम अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन मानता है कि प्रति एक हजार आबादी पर चार नर्स होनी चाहिए लेकिन हमारे यहां यह आंकड़ा 1.96 है। नर्से उपलब्ध नहीं होती लेकिन मांग बढ़ती जा रही है। मगर अच्छी बात यह है कि अब सरकारों ने नर्सिंग ट्रेनिंग के कई बड़े कॉलेज खोले है। जिससे कुछ ही वर्ष में यह समस्या समाप्त हो जाएगी। मेरा मानना है कि कामकाजी महिलाओं के साथ ही नर्सों की एक समस्या जो यौन उत्पीड़न या किसी प्रकार के अन्य विषयों से होती है उसे रोकने के लिए हर अस्पताल में महिलाओं की एक समिति बनाई जाए। जिस प्रकार से एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है। उसी प्रकार एक ही व्यक्ति वो ऐसी कारगुजारी को जन्म देता है तो पूरा सिस्टम बदनाम होता है। अच्छी बात कम बुरी बात ज्यादा फैलती है। कुल मिलाकर समय आ गया है कि नर्सों को सम्मान और वेतन मिले। उनकी सेवा को देखते हुए सरकार ऐसी घोषणा करें जिससे इन्हें आर्थिक लाभ और मानसिक संतुष्टि प्राप्त हो और इनका उत्पीड़न ना हो पाए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सेवा समर्पण दिवस नर्सिंग डे पर! नर्सो की सुविधाओं के लिए सरकार करे घोषणा, वेतन में हो बढ़ोत्तरी उत्पीड़न रोकने के लिए बने समिति
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