asd फर्जी लॉटरी से जुड़े एप और विज्ञापन को लेकर गूगल- मेटा को नोटिस

फर्जी लॉटरी से जुड़े एप और विज्ञापन को लेकर गूगल- मेटा को नोटिस

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नई दिल्ली 22 अगस्त। फेसबुक, इंस्‍टाग्राम और व्हाट्सएप की पैरेंट कंपनी मेटा और गूगल को केरल पुलिस ने एक नोटिस जारी किया है. यह नोटिस एक क्राइम से जुड़े मामले में जारी किया गया है. दरअसल, इन दो बड़ी कंपनियों के जरिए क्रिमिनल लोगों को चूना लगाने का एक बड़ा रैकेट चला रहे थे. पहले फेसबुक, इंस्‍टाग्राम और गूगल पर एड चलाए जाते, जिसकी मदद से भोले-भाले लोग ऑनलाइन फर्जी लॉटरी रैकेट के जाल में फंस जाते. बाद में उनसे मोटी रकम ली जाती.

अब केरल पुलिस ने फेसबुक, इंस्‍टाग्राम और व्हाट्सएप के लिए मेटा व सर्च इंजन एड के लिए गूगल को नोटिस जारी किया है. इन दोनों कंपनियों को कड़े शब्‍दों में यह कहा गया है कि वो इस तरह के एड ना दिखाएं जो लोगों को ठगने वाले हों. गूगल को अपने प्ले स्टोर से उन ऐप को हटाने के लिये कहा है जो स्‍टेट द्वारा संचालित लॉटरी के नाम पर ऑनलाइन फर्जी लॉटरी बेच रहे हैं.

राज्य पुलिस मीडिया सेंटर (एसपीएमसी) ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि ‘मेटा’ को भी उसके सोशल मीडिया मंचों फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम से ऐसी फर्जी लॉटरी के विज्ञापन हटाने के लिए इसी तरह का नोटिस जारी किया गया है. एसपीएमसी की विज्ञप्ति में कहा गया है कि साइबर गश्त के दौरान पता चला कि 60 फर्जी लॉटरी ऐप, 25 फर्जी फेसबुक प्रोफाइल और 20 वेबसाइट इस घोटाले से जुड़ी हैं, जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की.

इसमें कहा गया है कि धोखाधड़ी में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. घोटाले का ब्योरा देते हुए पुलिस ने कहा कि ‘केरल मेगामिलियन लॉटरी’ और ‘केरल समर सीजन धमाका’ के नाम से फर्जी विज्ञापन पिछले कुछ समय से व्हाट्सऐप, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया म‍ंचों पर प्रसारित हो रहे हैं और इनमें कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित लॉटरी ऑनलाइन खरीदी जा सकती है. इसमें कहा गया है कि लोगों को उनके फोन पर यह संदेश भी मिलता है कि केरल सरकार ने ऑनलाइन लॉटरी शुरू की है और 40 रुपये खर्च करने पर 12 करोड़ रुपये तक जीतने का मौका है.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि बाद में, जब ड्रॉ का समय समाप्त हो जाता है, तो ठग फर्जी परिणाम भेजते हैं, जो दिखाते हैं कि लॉटरी धारक ने पांच लाख रुपये का पुरस्कार जीता है. इसके बाद, सरकारी प्रतिनिधि बनकर कोई शख्स पीड़ित को कॉल करता है और ‘टिकट धारक’ से पुरस्कार राशि प्राप्त करने के लिए ‘जीएसटी’ और ‘स्टांप ड्यूटी’ के लिए एक निश्चित राशि बैंक खाते में स्थानांतरित करने के लिए कहता है. मांगी गई राशि हस्तांतरित होने के बाद, वे यह दावा करते हुए अधिक धनराशि की मांग करते हैं कि आरबीआई ने पुरस्कार राशि रोक ली है.

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