अयोध्या,27 जून। तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय सोशल मीडिया के माध्यम से बुधवार को दावा किया कि गर्भगृह में एक बूंद पानी नहीं टपका और न ही कहीं से पानी प्रवेश किया।
उन्होंने बताया कि गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में गूढ़ मंडप है। वहां मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात (भूतल से लगभग 60 फीट ऊंचा ) गुम्बद जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी। इस मंडप का क्षेत्रफल 35 फीट व्यास का है, जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं। द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि रंग मंडप एवं गूढ़ मंडप के बीच उत्तर एवं दक्षिण दिशा में दोनों तरफ उपर तल पर जाने की सीढ़ियां है, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढंकेगी। यह कार्य भी प्रगति पर है।
बताया गया कि पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के तार के लिए बनाई जाने वाली लेन व जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है और लेन को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है। ये लेन और जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपाई जाती है। चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है, इसके चलते सभी जंक्शन बॉक्स में पानी प्रवेश कर कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा, जो ऊपर देखने पर प्रतीत हो रहा था की छत से पानी टपक रहा है। जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था।
वर्षा के जल को संरक्षित करने की तैयारी चल रही
चंपत राय ने बताया कि मंदिर एवं परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीके से उत्तम प्रबंध किया गया है, यह कार्य भी प्रगति पर है। भविष्य में मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी। श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है। रिचार्ज पिट का भी निर्माण कराया जा रहा है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने बताया कि लोहा का उपयोग किए बिना केवल पत्थरों से उत्तर भारतीय नागर शैली में मंदिर का निर्माण हो रहा है. केवल देश विदेश में स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं. उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद से लगभग एक लाख से भक्त प्रतिदिन दर्शन कर रहे हैं. प्रातः 6.30 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है. इस दौरान मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है. इसके प्रयोग से दर्शन में बाधक और सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है.