asd 37 नहीं, 82 मौतें हुईं’, अखिलेश ने प्रयागराज भगदड़ मामले में मुआवजे और मौतों के आंकड़ों पर उठाया बड़ा सवाल

37 नहीं, 82 मौतें हुईं’, अखिलेश ने प्रयागराज भगदड़ मामले में मुआवजे और मौतों के आंकड़ों पर उठाया बड़ा सवाल

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लखनऊ 10 जून। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार पर प्रयागराज महाकुंभ के दौरान इस साल 29 जनवरी को मची भगदड़ में मरने वालों की वास्तविक संख्या को लेकर झूठ बोलने का मंगलवार को आरोप लगाया और पीड़ित परिवारों को मुआवजा वितरण को लेकर गंभीर सवाल उठाए। यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बीबीसी की एक खबर के हवाले से यह टिप्पणी की। इस खबर में दावा किया गया है कि भगदड़ में 82 लोगों की मौत हुई थी जबकि सरकार ने 37 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है।

मिली जानकारी के मुताबिक, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने ”तथ्य बनाम सत्य : 37 बनाम 82′ शीर्षक से लिखे पोस्ट में कहा कि सब देखें, सुनें, जानें-समझें और साझा करें। सत्य की केवल पड़ताल नहीं, उसका प्रसार भी उतना ही जरूरी होता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए यादव ने कहा कि भाजपा आत्म-मंथन करे और भाजपाई भी और साथ ही उनके समर्थक भी कि जो लोग किसी की मृत्यु के लिए झूठ बोल सकते हैं, वो झूठ के किस पाताल-पर्वत पर चढ़कर अपने को, अपने मिथ्या-साम्राज्य का मुखिया मान रहे हैं। झूठे आंकड़े देने वाले ऐसे भाजपाइयों पर विश्वास भी विश्वास नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि सवाल सिर्फ आंकड़े छिपाने का नहीं है, सदन के पटल पर असत्य बोलने का भी है।

यादव ने भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को नकद में मुआवजा देने पर सवाल उठाते हुए पूछा कि रकम नकद क्यों दी गई और यह नकद कहां से आया था? सपा प्रमुख ने सवाल किया कि जो नकद राशि वितरित नहीं हो सकी, वो पैसा “किसके हाथ” में वापस गया? उन्होंने यह भी पूछा कि नकदी देने का निर्णय किस नियम के तहत हुआ? नकदी का वितरण किसके आदेश पर हुआ? नकदी के वितरण का लिखित आदेश कहां है? नकदी वितरण में क्या कोई अनियमितता हुई? और साथ ही यह भी कि मृत्यु के कारण को बदलवाने का दबाव किसके कहने पर बनाया गया? सपा प्रमुख ने लिखा कि ये रिपोर्ट अंत नहीं, महाकुंभ में हुई मृत्युओं और उनसे जुड़े पैसों के महासत्य की खोज का आरंभ है। सत्य जब उजागर होता है, तो झूठ की परत-दर-परत खुलती है, जो स्वांग के हर चोगे और मुखौटे को उतारती जाती है, परदे उठाती जाती है। झूठ का कोई भी सूचना-प्रबंधन ऐसे सत्य को बाहर आने से नहीं रोक सकता।

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