asd गैर जमानती वारंट नियमित रूप से नहीं किया जा सकता जारी: सुप्रीम कोर्ट

गैर जमानती वारंट नियमित रूप से नहीं किया जा सकता जारी: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, 03 मई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गैर जमानती वारंट तब तक नियमित तरीके से जारी नहीं किया जा सकता, जब तक कि आरोपित पर जघन्य अपराध का आरोप न हो और उसके द्वारा कानूनी प्रक्रिया से बचने या सबूतों से छेड़छाड़/नष्ट करने की आशंका न हो।

जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने अपने हालिया फैसले में कहा कि गैर जमानती वारंट जारी करने के लिए कोई व्यापक दिशा-निर्देश नहीं है।
लेकिन, शीर्ष अदालत ने कई मौकों पर कहा है कि गैरजमानती वारंट तब तक जारी नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि आरोपित पर जघन्य अपराध का आरोप न लगाया गया हो।

पीठ ने कहा कि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि गैर जमानती वारंट नियमित तरीके से जारी नहीं किया जा सकता है। किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता में तब तक कटौती नहीं की जा सकती, जब तक कि जनता और राज्य के व्यापक हित के लिए ऐसा करना आवश्यक न हो।

2021 में लखनऊ के विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मैनेजर सिंह के खिलाफ यह कहते हुए गैरजमानती वारंट जारी किया कि जमानत प्राप्त करने से पहले व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने का कोई प्रविधान नहीं है।
एक अन्य आदेश में उन्होंने कहा कि चूंकि आरोपित जमानती वारंट जारी होने के बावजूद अनुपस्थित रहा, इसलिए उसकी व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए गैरजमानती वारंट जारी किया जा रहा है। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि यह कहना कि जमानत प्राप्त करने से पहले व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने का कोई प्रविधान नहीं है, सही नहीं है। (दंड प्रक्रिया) संहिता के तहत व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने की शक्ति को प्रतिबंधात्मक तरीके से नहीं पढ़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह केवल आरोपित को जमानत मिलने के बाद ही लागू होती है।

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