नौचंदी मेले के निमंत्रण पर महापौर का नाम ना होने तथा उदघाटन में उनके आने तक इंतजार ना करने और जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित ना किए जाने को लेकर मचे बवाल तथा प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह से महापौर सहित पार्षदों और जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई शिकायत के बाद नौचंदी के नोडल अधिकारी के पद से सीडीओ नूपुर गोयल को हटाकर नगरायुक्त सौरभ गंगवार को प्रभारी नौचंदी मेला बनाया गया। प्रभारी मंत्री सहित सभी जनप्रतिनिधियों ने इस प्रकरण में स्पष्ट कहा कि किसी भी जनप्रतिनिधि का अपमान नहीं होने देंगे और महापौर का जो अपमान हुआ वो गलत है। नौचंदी मेला कुछ साल पहले प्रांतीय मेला हो गया और अब वो प्रदेश सरकार की देखरेख में लगता है। पिछले साल जिला पंचायत ने यह मेला लगाया था और इस बार नगर निगम को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। क्योंकि नगर निगम पूर्व में कई वर्षाें तक लगातार नौचंदी मेला लगाता रहा इसलिए इसके अधिकारियों को इसके बारे में ना पता हो यह संभव नहीं है। पूर्व में लगातार पांच साल तक महापौर की देखरेख में यह मेला लगा। इसलिए यह तो पक्का है कि उत्तरी भारत के इस प्रसिद्ध मेले के बारे में नगर निगम को पूरी रूपरेखा समझ आनी चाहिए थी। क्योंकि मेला नगर निगम लगा रहा है तो हर कोई यह सोच सकता है कि नगरायुक्त की देखरेख में सारा काम होना था। ऐसे में सीडीओ जो नोडल अधिकारी का काम देख रही थी उन्हें हटाना कहां तक सही है यह तो शासन प्रशासन के अधिकारियेां को देखना है। मगर एक सवाल जो सबके सामने खड़ा नजर आ रहा है कि क्या इस पूरे प्रकरण के लिए सीडीओ ही दोषी थीं। मेरा मानना है कि मेला तो सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक है। पूरी तैयारी के साथ लगना ही चाहिए। जनप्रतिनिधि हो या या आम दर्शक सबको सम्मान और सुरक्षा मिलना चाहिए। लेकिन जो त्रुटियां हुई उनके लिए सही मायनों में कौन जिम्मेदार है। इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि जब मेला नगर निगम को लगाना है तो सारी व्यवस्थाएं भी नगरायुक्त को देखनी चाहिए थी। सीडीओ नोडल अधिाकरी थी तो वो दोषी कैसे हो गई। सही गलत क्या है यह तो जनप्रतिनिधि और प्रभारी मंत्री जान सकते हैं मगर मुझे लगता है कि जिस प्रकार नगर निगम की खस्ता हालत और ज्यादातर कार्य समय से नहीं हो पाते उसी हिसाब से नौचंदी उदघाटन के मामले में भी कार्यप्रणाली शायद अपनाई गई इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता। सीडीओ क्योंकि प्रशासनिक अधिकारी हैं और ऐसा अफसरों के साथ होता रहता है यह कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन यह भी सही बात है कि महिला होने के साथ साथ वो अभी नई अधिकारी ही कही जा सकती हैं इसलिए अभी से उनका मनोबल और इच्छाशक्ति कमजोर ना हो इसके लिए उन्हें दोषी नहीं माना जाना चाहिए। नोडल अधिकारी चाहे कोई भी रहे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
नौचंदी मेले का उदघाटन प्रकरण, क्या सीडीओ ही दोषी थीं, सौरभ गंगवार बनाए गए मेला प्रभारी
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