asd मेरी मां का मंगलसूत्र देश के लिए कुर्बान हुआ…प्रियंका गांधी का पीएम मोदी के प्रहार पर पलटवार

मेरी मां का मंगलसूत्र देश के लिए कुर्बान हुआ…प्रियंका गांधी का पीएम मोदी के प्रहार पर पलटवार

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बेंगलुरु 24 अप्रैल। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने मंगलसूत्र से जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को लेकर गत दिवस उन पर पलटवार किया और कहा कि उनकी मां सोनिया गांधी का मंगलसूत्र देश के लिए कुर्बान हुआ है. प्रियंका ने बेंगलुरु की एक चुनावी सभा में यह भी कहा कि अगर प्रधानमंत्री मंगलसूत्र का महत्व समझते तो ऐसी बातें नहीं करते.

राजस्थान के बांसवाड़ा में रविवार को एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कांग्रेस की योजना लोगों की गाढ़ी कमायी और संपत्ति ‘घुसपैठियों’ तथा ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले लोगों को देने की है. पीएम मोदी ने कहा था, ‘ये अर्बन नक्सल वाली सोच…. मेरी माताओ-बहनों… ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे. इस हद तक चले जाएंगे.’

प्रियंका गांधी ने कहा, ‘अगर प्रधानमंत्री मंगलसूत्र का महत्व समझते तो ऐसी बातें नहीं करते.. 55 साल क्या कांग्रेस ने किसी का सोना या मंगलसूत्र छीना? जब देश युद्ध लड़ रहा था, इंदिरा जी ने अपने गहने देश को दे दिए थे. मेरी मां का मंगलसूत्र इस देश के लिए कुर्बान हुआ.’ उन्होंने कहा, ‘जब मेरी बहनों को नोटबंदी के चलते अपने मंगलसूत्र गिरवी रखने पड़े तब प्रधानमंत्री जी कहां थे. प्रधानमंत्री जी तब कहां हैं जब कर्ज तले दबे किसान की पत्नी को अपना मंगलसूत्र बेचना पड़ता है. प्रधानमंत्री जी ने मणिपुर की उस महिला के बारे में क्यों कुछ नहीं बोला जिसे निर्वस्त्र करके घुमाया गया. महंगाई ने आज कितनों के मंगलसूत्र गिरवी रखवा दिए हैं.’

प्रियंका ने कहा कि प्रधानमंत्री ध्यान भटकाने के लिए ऐसी बातें कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘वे (भाजपा) हर चीज के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन उन मुद्दों पर चुप हैं जिनका लोग सामना कर रहे हैं. बहुत सारे मुद्दे हैं चाहे किसान हों, छात्र हों, नौकरी की तलाश कर रहे युवा हों, मदद की तलाश में महिलाएं हों, बहुत सारे बड़े मुद्दे हैं. ध्यान इन्हीं मुद्दों पर केंद्रित करना चाहिए.’

प्रियंका ने कहा, ‘ऐसे मुद्दों को हमेशा उठाया जाता रहा है ताकि लोगों का ध्यान भटके और उनकी भावनाएं भड़कें और फिर वे समझबूझ कर वोट करने की बजाय भावनाओं से वोट करें.’ कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ‘जब उनके (प्रधानमंत्री) पास कोई मुद्दा नहीं बचा है तो अब भटकाने के लिए इधर-उधर की बातें कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस का घोषणापत्र महिलाओं को एक लाख रुपये देकर उन्हें मजबूत करने की बात करता है, छात्रों का ऋण माफ करने की बात करता है, किसानों की कर्जमाफ़ी और एमएसपी की गारंटी की बात करता है. 30 लाख सरकारी पदों को भरने की बात करता है.’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी बताएं कि वो इन मुद्दों पर चुप क्यों हैं? मैं उन्हें चुनौती देती हूं कि एक चुनाव मुद्दों पर लड़कर दिखाएं.’

वहीं प्रियंका के बाद अब इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने अमेरिका का उदाहरण दिया . सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में जो भी मरता है, वह सिर्फ अपनी 45 फीसदी संपत्ति अपने बच्चों को दे सकता है, बाकी की 55 फीसदी सरकार को दे दी जाती है, जिसको गरीबों में बांट दिया जाता है.

सैम पित्रोदा ने कहा, ‘अमेरिका में विरासत कर लगता है. यदि किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45% अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है, 55% सरकार ले लेती है. यह एक दिलचस्प कानून है. इसमें कहा गया है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए, पूरी नहीं, आधी, जो मुझे उचित लगती है.’

उन्होंने कहा कि भारत में ऐसा नहीं है. यदि किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता. तो ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर लोगों को बहस और चर्चा करनी होगी. मुझे नहीं पता कि दिन के अंत में निष्कर्ष क्या होगा लेकिन जब हम धन के पुनर्वितरण के बारे में बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए कार्यक्रमों के बारे में बात कर रहे हैं जो लोगों के हित में हैं न कि अमीरों के हित में.
सैम पित्रोदा ने आगे कहा, ‘यह एक नीतिगत मुद्दा है. कांग्रेस पार्टी एक नीति बनाएगी जिसके माध्यम से धन वितरण बेहतर होगा. हमारे पास (भारत में) न्यूनतम वेतन नहीं है. यदि हम देश में न्यूनतम वेतन के साथ आते हैं और कहते हैं कि आपको गरीबों को इतना पैसा देना होगा, तो यह धन का वितरण है. आज अमीर लोग अपने चपरासियों, नौकरों और घरेलू नौकरों को पर्याप्त वेतन नहीं देते हैं, लेकिन वे उस पैसे को दुबई और लंदन में छुट्टियों पर खर्च करते हैं.’

उन्होंने आगे कहा कि जब आप धन बांटने की बात करते हैं तो ऐसा नहीं है कि आप कुर्सी पर बैठ जाएं और कहें कि मेरे पास इतना पैसा है और मैं सबको बांट दूंगा. ऐसा सोचना नासमझी है.

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