मथुरा/ नयी दिल्ली 17 सितंबर। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को शाही ईदगाह विवाद से जुड़े उस मामले को खारिज कर दिया है। जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, जबकि हिन्दू पक्ष की याचिका को सुनवाई योग्य माना है। अब इस मामले की सुनवाई 4 नवम्बर को होगी।
दरअसल, मस्जिद प्रबंधन समिति की याचिका अधिवक्ता आरएचए सिकंदर के माध्यम से दायर की गई है। उच्च न्यायालय ने एक अगस्त को मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद से संबंधित 18 मामलों की विचारणीयता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और व्यवस्था दी थी कि शाही ईदगाह के ‘धार्मिक चरित्र’ को निर्धारित करने की आवश्यकता है। उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया था कि कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर को लेकर विवाद से संबंधित हिंदू वादियों द्वारा दायर मुकदमे पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम का उल्लंघन करते हैं और इसलिए वे स्वीकार्य नहीं हैं।
गौरतलब है कि साल 1991 का यह अधिनियम देश की स्वतंत्रता के दिन मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल के धार्मिक चरित्र को बदलने पर रोक लगाता है। केवल राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को इसके दायरे से बाहर रखा गया था। हिंदू पक्ष द्वारा दायर किए गए मामलों में औरंगज़ेब युग की शाही ईदगाह मस्जिद को ‘हटाने’ की मांग की गई है। उनका दावा है कि यह एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी, जो कभी वहां था।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद केस में दोनों पक्षों की ओर से अपनी-अपनी दलीलें दी जा रही है। हिंदू पक्ष की ओर से दी जा रही दलील में कहा गया है कि शाही ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ क्षेत्र श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है। वह हिस्सा भी जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद है, मंदिर का हिस्सा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है। श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है। हिंदू पक्ष ने कहा है कि बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।