Date: 22/12/2024, Time:

फडणवीस मंत्रिमंडल समारोह में गूंजा मां का नाम, मातृशक्ति को जल्दी ही मिल सकता है पूर्ण आरक्षण का लाभ

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एक बार धार्मिक आयोजनों में सुनाए गए प्रसंग के अनुसार देवताओं ने महादेव पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी से तीनों लोकों की प्रकिमा पर पहले लौटने वाले को देवी देवताओं का साथ मिलने की बात कही। बताते हैं कि कार्तिकेय अपने वाहन पर सवार होकर तेजी से निकले लिए लेकिन गणेश जी ने माता पार्वती और पिता महादेव की परकिमा कर बैठ गए। जब कार्तिकेय लौटे तो देवताओं ने पूछा कि कौन जीता तो पार्वती व शिवजी ने कहा कि माता पिता की परिक्रमा तीनों लोको के समान है इसलिए गणेश जी जीते। इसी प्रकार बीते दिनों महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडवणीस के मंत्रिमंडल के शपथ समारोह में उस समय देखने को मिला जब 35 साल बाद महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी नागपुर के राजभवन में 39 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। उस दौरान सर्वप्रथम फडणवीस ने मुख्यमंत्री की शपथ से पहले अपनी मां सरिता और पिता गंगाधर राव का नाम लेते हुए कहा कि मैं शपथ लेता हूं उसके उपरांत सभी मंत्रियों और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बावन कुल्ले सहित सभी ने शपथ लेने से पहले अपनी माता का नाम भी जोड़ा। बताते चलें कि महाराष्ट्र समेत दक्षिण राज्यों में आम तौर पर अपने पिता का नाम साथ जोड़ा जाता है लेकिन इतिहास में पहली बार इतने बडे आयोजन में माता का नाम जोड़कर तीनो लोकों की धार्मिक यात्रा ना सही मेरी निगाह में मां बाप के नाम का उच्चारण कर सभी मंत्रियों ने हर प्रकार की धार्मिक कथा और धर्म लाभ के फायदे कुछ ही मिनटों में प्राप्त कर लिए। दूसरी ओर सभी जानते हैं कि मातृशक्ति की महिमा अपरंपार है। हमेशा वो पूजनीय रही है लेकिन महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने जो यह नया सिलसिला माता का नाम जोड़ने और उससे पूरा शपथ समारोह गूंजने से एक बात और स्पष्ट हो रही है कि हर परिवार में सबसे शक्तिशाली सदस्य के रूप में माता अब और ज्यादा शक्तिमान और सम्मान से परिपूर्ण होंगी। जिस प्रकार से हर क्षेत्र में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण की मांग उठ रही है ऐसे आयोजन से यह आशा बंधती है कि भविष्य में वो मांग पूरी हो सकती है। क्योंकि महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में तीन बडे़ दलों के विधायकों ने शपथ ली और वायनाड से सबसे ज्यादा वोटों से जीतीं कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी द्वारा यूपी विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देकर उनको सम्मान देने की कोशिश की गई थी जो इस बात का प्रतीक है कि चार बड़े सियासी दल महिलाओं को अधिकार सम्मान देने को तैयार है। इसलिए अब जल्दी ही महिलाओं को आरक्षण मिलना तय है। इसमें कोई परेशानी नहीं होगी क्येांकि सरकार पहले ही संपत्ति में बेटियों की हिस्सेदारी तय कर चुकी है और अदालतों द्वारा भी महिलाओं के हित में निर्णय देकर यह साफ किया जा चुका है कि मातृशक्ति को उसका अधिकार देने से ज्यादा समय लिया जाना संभव नहीं है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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