पहलगाम की घटना हो या ऑपरेशन सिंदूर अथवा अन्य सार्वजनिक हित के मुददे सबको लेकर जो आजकल बयानबाजी चल रही है उसका बड़ा नुकसान देश और समाज को होने से इनकार नहीं किया जा सकता। पिछले कुछ दिनों में शायद इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए देशभर के प्रमुख नेताओं द्वारा अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण मामले में टिप्पणी ना करने और संयम बरतने की बात कही गई। पीएम मोदी ने उनकी अध्यक्षता में हुई एनडीए दलों के सीएम व डिप्टी सीएम की बैठक में बीते रविवार को कहा कि एनडीए नेताओं को सार्वजनिक रूप से अपनी टिप्पणियों में संयम बरतने की बात कही और कहा गलत बयानों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचता है। इससे पूर्व सपा मुखिया पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को कई मामलों में बोलने में संयम बरतने और सार्वजनिक टिप्पणी ना करने की सलाह दी। जिससे यह लगता है कि देश के बड़े दलों के नेता नहीं चाहते कि अनावश्यक टिप्पणियों से किसी भी स्तर पर मनमुटाव या देश व समाज के सामने कोई समस्या खड़ी हो क्योंकि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी पिछले दिनों ऐसी बातें कहीं।
सभी जानते हैं कि राजनीतिक दलों को लेकर अब जानमानस की सोच बन गई है कि वो बड़े नेताओं की बात पर ध्यान देते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि अब सबके हित में मामले बड़े हो छोटे अगर हमें अनावश्यक नुकसान और विवाद से बचना है तो गम खाना कम बोलना सही सोचना सबके लिए हितकर है। इसलिए राजनीतिक दलों के नेताओं कार्यकर्ताओं को अपने नेताओं के साथ साथ व्यवस्थाओं का ध्यान रखते हुए गलत बयानी करने विवादित बोलने और अपने कथन से मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न करने से बचना चाहिए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सही है मोदी जी की सलाह, देश समाज और परिवार सबके हित में हैं कम बोलना और टिप्पणियों से बचना
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