नई दिल्ली 15 नवंबर। मोदी सरकार ने टोल टैक्स को लेकर एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय ने एक नई अधिसूचना जारी की है, जिसमें बताया गया है कि अब उन निजी वाहन चालकों को टोल टैक्स नहीं देना होगा जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, यदि ये वाहन चालक किसी टोल रोड पर 20 किलोमीटर या इससे कम की दूरी तय करते हैं, तो उन्हें टोल टैक्स से राहत मिलेगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, अब जिन निजी वाहनों में GNSS सिस्टम कार्यरत होगा, वे वाहन चालक टोल रोड पर यात्रा करते समय पहले 20 किलोमीटर तक की यात्रा के लिए टोल टैक्स से मुक्त होंगे। इस व्यवस्था का लाभ उन्हीं वाहनों को मिलेगा जिनमें ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) लगा होगा और चालक 20 किलोमीटर तक ही यात्रा करेंगे। हालांकि, यदि चालक 20 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करता है, तो उसे वास्तविक यात्रा दूरी के हिसाब से टोल टैक्स देना होगा। मंत्रालय ने यह व्यवस्था पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई है, जिससे निजी वाहन मालिकों को राहत मिल सके।
क्या है GNSS और इसका उपयोग?
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) एक आधुनिक तकनीक है, जिसे वाहन ट्रैकिंग और नेविगेशन के लिए उपयोग किया जाता है। यह तकनीक GPS (Global Positioning System) के समान है, जो वाहन की सटीक स्थिति और यात्रा मार्ग का पता लगाती है। इस प्रणाली को सड़क और परिवहन मंत्रालय ने हाल ही में फास्टैग के साथ मिलाकर टोल कलेक्शन सिस्टम के तौर पर लागू किया है। GNSS सिस्टम के माध्यम से वाहन की यात्रा को ट्रैक किया जाता है, और इसके आधार पर ही टोल शुल्क की गणना की जाती है। इस सिस्टम का इस्तेमाल पहले से ही कुछ प्रमुख राजमार्गों और एक्सप्रेस वे पर किया जा रहा है।
हालांकि, पूरे देश में इस सिस्टम को लागू नहीं किया गया है। फिलहाल, इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कर्नाटक और हरियाणा में लागू किया गया है। कर्नाटका के नेशनल हाईवे 275 पर बेंगलुरु और मैसूर के बीच, और हरियाणा में नेशनल हाईवे 709 पर पानीपत और हिसार के बीच इस नई व्यवस्था का परीक्षण किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में GNSS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के परीक्षण के परिणामों के आधार पर, सरकार पूरे देश में इसे लागू करने का निर्णय लेगी। इस पायलट प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह सिस्टम तकनीकी रूप से सटीक और प्रभावी तरीके से काम कर रहा है। यदि कर्नाटका और हरियाणा में इसका प्रयोग सफल रहता है, तो अन्य राज्यों में भी इस तकनीक को लागू किया जाएगा।
बता दें कि सड़क और परिवहन मंत्रालय ने कुछ दिन पहले ही फास्टैग के साथ ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम पर आधारित टोल सिस्टम लागू किया है। हालांकि पूरे देश में इस सिस्टम का यूज नहीं किया गया जा रहा है, फिलहाल सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे कर्नाटक में नेशनल हाईवे 275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और हरियाणा में नेशनल हाईवे 709 के पानीपत-हिसार हाईवे पर लागू किया गया है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार देश के अन्य हाईवेज पर भी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम को लागू किया जाना है।