एनसीआर क्षेत्र के प्रदूषण से परिपूर्ण जनपदों को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. अरूण कुमार द्वारा बीते दिवस अपर मुख्य सचिव गृह दीपक कुमार व इस समस्या को झेल रहे जिलों के अधिकारियों की मौजूदगी में विकास भवन में एक बैठक की। इस अवसर पर प्रदूषण दूर करने के लिए जागरूकता अभियान भी शुरू कराया। मंत्री जी की चिंता नागरिकों के प्रति कितनी है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस कार्य को पूरा कराने के लिए विश्व बैंक से 2700 करोड़ रूपये का लोन लिया जा रहा है।
प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ यूपी के सभी जिलों को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए और नागरिकों को स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास करते नजर आ रहे हैं। मंत्री जी की सोच और प्रयास की सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने जनहित के लिए 2700 करोड़ का लोन लेने पर सहमति जताई। इस मौके पर उनके द्वारा कहा गया कि पराली ना जलाएं। निर्माण का सामान ढोने वाले वाहनों को कवर कर ले जाएं। थोड़ी दूर जाना हो तो पैदल जाएं। खुद भी मंत्री जी सर्किट हाउस से विकास भवन तक एक संदेश देने के लिए इलैक्ट्रिक कार से गए। और प्रचार अभियान को हरी झंडी दिखाई।
ध्यान से देखें तो प्रदेश सरकार और मंत्री की सोच पूरी तौर पर जनहित की है। लेकिन मंत्री जी जो बिंदु आपने गिनाए उनसे तो प्रदूषण फैलता ही है। मगर जो असली नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाला प्रदूषण है आवश्यकता उसे दूर करने की है ना कि 2700 करोड़ खर्च करने की। मंत्री जी ना तो मकान बनाने से प्रदूषण फैल रहा है और ना ही सामान ले जाने से। बुलंदशहर में इस मुददे को लेकर चार निर्माण कार्यों पर चार लाख का जुर्माना लगा दिया गया इसे आम आदमी का उत्पीड़न ही कह सकते हैं। क्योंकि प्रदूषण तो सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आदेशों के बावजूद खुले वाहनों में सड़कों पर गिराते हुए और आसपास के क्षेत्रों को प्रदूषित करते हुए कूड़ा ले जाने वाले वाहनों, पुलिस और आरटीओ विभाग की लापरवाही के चलते जहरीला धुंआ उड़ाते वाहन, गंदगी और कूड़े से अटी नालियां नाले, नालों की सफाई कर सड़क पर कई दिन तक पड़े रहने वाला कूड़ा, ऐसे ही अन्य बिंदु वातावरण को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
मैं 2700 करोड़ रूपये विश्व बैंक से लेकर जो खर्च किया जा रहा है उसकी भरपाई कहीं ना कहीं नागरिकों से टैक्स से वसूली गई रकम से होगी। इसलिए आम आदमी पर आर्थिक मार पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता। क्येांकि जब दर्शाये गए बिंदुओं से प्रदूषण हो रहा है उससे बीमारी और लोन की रकम अदायगी दोहरा भार डालेगी जबकि सही तो यह है कि जब तक सड़कों पर खुले वाहनों में कुड़ा ले जाया जाता रहेगा जहरीला धुंआ उड़ाने वाले वाहनों पर रोक नहीं लगेगी और टायर कूड़ा जलाने पर रोक नहीं लगेगी तब तक प्रदूषण कम नहीं होगा। सीएम और मंत्री जी इतना सोच रहे हैं यह नागरिकों के लिए बड़ी बात है। आप प्रदूषण कम करने के लिए स्थानीय निकायों, आरटीओ और पुलिसकर्मियों को थोड़ा टाइट कर दें तो 75 प्रतिशत प्रदूषण अपने आप समाप्त हो जाएगा। क्योंकि पराली जलाने से इतना प्रदूषण नहीं फैलता जितना धान और गेंहू कटाई के समय उड़ने वाली धूल से होता है। मेरा मानना है कि प्रदूषण की समस्या को जड़ से समाप्त करने हेतु आप ग्रामीणों और नागरिकों के साथ बैठकें करने का निर्देश अधिकारियों को दें तो इस समस्या का समाधान निकालने में सरकार सफल होगी क्योंकि प्रदूषण का जो जहर घुल रहा है वो सड़कों पर कूड़ा जलाने से रोकने पर समाप्त हो जाएगा। लेकिन सफाई और प्रदूषण समाप्ति के नाम पर जिन अधिकारियों द्वारा बंदरबाट करने की चर्चा रहती है उन्हें भी चिन्हित कर उनकी कार्यप्रणाली पर लगाम लगानी होगी।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मंत्री जी लोन लेकर 2700 करोड़ रूपये खर्च कर प्रदूषण समाप्त होने वाला नहीं है, सड़कों पर कूड़ा टायर पॉलिथीन आदि जलाने से रोकने पर ही ?
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