लखनऊ,17 मई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की स्किल मैपिंग कर न्यूनतम मानदेय की गारंटी सुनिश्चित की जाए। श्रमिक और उद्योगपति एक-दूसरे के पूरक हैं, न कि प्रतिस्पर्धी। औद्योगिक प्रगति तभी संभव है जब श्रम कानूनों को प्रो-इंडस्ट्री, प्रो-श्रमिक दोनों तरह से संतुलित बनाएं।
श्रम कानूनों का सरलीकरण ऐसे हो, जिससे उद्योगों को सुविधा मिले, लेकिन यह भी तय रहे कि श्रमिकों के शोषण या अमानवीय व्यवहार की कोई संभावना न रहे। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को श्रम एवं सेवायोजन विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि ‘हर हाथ को काम’ देने के लिए हमें उद्योगों को सशक्त करना होगा। उद्योग बंद कर रोजगार नहीं दिया जा सकता। श्रमिकों और परिवारों को सुरक्षा मिले, इसके लिए सम्मानजनक मानदेय और बीमा सुरक्षा कवच देना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि विदेश में रोजगार के लिए जाने वाले निर्माण श्रमिकों को न केवल तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाए, बल्कि गंतव्य देश की भाषा का भी प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाए। यह उनकी कार्यक्षमता और सुरक्षा दोनों के लिए आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने श्रमिक अड्डों को मॉडल के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए, जहां डॉरमेट्री, शौचालय, पेयजल, कैंटीन और ट्रेनिंग सुविधाएं उपलब्ध हों। कैंटीन में श्रमिकों को 5-10 रुपये में चाय, नाश्ता और भोजन मिले, यह सुनिश्चित करें। उन्होंने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की स्किल मैपिंग कराकर न्यूनतम मानदेय की गारंटी व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह असंगठित कार्यबल को संगठित श्रम शक्ति में बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल होगी।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि निजी अस्पतालों को ईएसआईसी से जोड़ा जाए। इससे संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि आजादी के बाद से वर्ष 2016 तक प्रदेश में 13,809 कारखाने पंजीकृत थे, जबकि पिछले 9 वर्षों में 13,644 नए कारखानों का पंजीकरण हुआ है।