Date: 22/11/2024, Time:

मेडा ढाई हजार गज भूमि का बाजार दर से अग्रसेन सेवा ट्रस्ट को करे भुगतान अथवा दे मुनाफा अथवा पुरानी दर पर जमीन अनुचरों के खिलाफ कार्रवाई से कुछ होने वाला नही है, जिम्मेदार अफसरों पर ध्यान देना जरूरी

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मवाना जोन के दो अनुचरों को निलंबित कर मेडा के अधिकारी क्या दर्शाना चाह रहे हैं यह तो वही जाने लेकिन आज इससे संबंध खबर को पढ़कर पाठकों में एक चर्चा सुनाई दी कि मेडा वीसी अगर व्यवस्था सुधारना चाहते हैं और भ्रष्टाचार खत्म कर पारदर्शी वातावरण की स्थापना करने की सोचते हैं तो उन्हें कच्ची कॉलोनियों और अवैध निर्माणों के लिए अनुचरों के साथ साथ ऐई और जेई को भी निलंबित करना चाहिए। बीते दिनों रूड़की रोड से लगे लिंक मार्गो और मुख्य सड़क पर पल्लवपुरम लावड़ रोड पर जेई आदि पर पैसे लेकर निर्माण कराने और कच्ची कॉलोनियां बनवाने के आरोप लगे और धक्का मुक्की भी हो चुकी है जो इस बात का प्रतीक है कि सरकार की निर्माण नीति का पालन कराने वाले ही उसको पलीता लगा रहे हैं।
वीसी साहब शताब्दी नगर में अग्रसेन सेवा ट्रस्ट द्वारा 12 हजार 200 वर्ग मीटर का जो प्लॉट ई नीलामी में लिया गया था उसमें ढाई हजार वर्ग मीटर जमीन कम निकलना यह दर्शाता है कि मेडा कार्यालय में उच्च पदों पर काम करने वाले अधिकारी कितना लापरवा हैं।
उदाहरण के तौर पर छपी इस खबर कि मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) की ई-नीलामी में खरीदा गया प्लॉट ढाई हजार वर्ग मीटर तक कम निकला। इसका खुलासा तब हुआ जब आवंटी कब्जा लेने पहुंचे। वहीं आवंटी की ओर से घोषित क्षेत्रफल के लिए पांच करोड़ 29 लाख रुपये जमा कर दिए गए। इसके बाद मेडा की ओर से बराबर का प्लॉट दो करोड़ रुपये में देने का प्रस्ताव दिया गया। आरोप है कि अतिरिक्त प्लॉट लेने में असमर्थता जताने पर कब्जा नहीं दिया गया। मेडा की ई-नीलामी में काफी संख्या में संपत्तियां बिकीं। इसमें श्री अग्रसेन सेवा ट्रस्ट ने शताब्दीनगर में सेक्टर-4 सी-जी भूखंड संख्या सीएस लिया था। ट्रस्ट के महामंत्री गिरीश कुमार बंसल का कहना है कि नवंबर-2023 में भूखंड की नीलामी में 12200 वर्ग मीटर का प्लॉट लिया गया था। जब मौके पर देखा तो यह प्लॉट 9666.10 मीटर का ही निकला, जो 2533.90 मीटर कम है। ट्रस्ट के गिरीश बंसल ने आरोप लगाया कि कि सामुदायिक श्रेणी को व्यावसायिक कर दिया गया। 12200 वर्गमीटर के अनुसार ही 5 करोड़ 29 लाख 88 हजार रुपये जमा. किए जा चुके हैं।
इस बारे में नागरिकों का कहना है कि यह त्रुटि मेडा अफसरों या कर्मचारियों की वजह से रही है। जनहित के लिए इस पर बनने वाले निर्माण में मेडा या तो जिस दर पर ई नीलामी में जमीन खरीदी गई उसी पर जो भूमि कम है उसका मेमो ट्रस्ट को दे जिससे वो अपना काम पूरा कर जनहित में इस जमीन का उपयोग कर सके। क्यांेकि इसमें नागरिकों के अनुसार ट्रस्ट पदाधिकारियेां का दोष नही है। दोषी अधिकारी है। सही तो यह है कि उनकी निजी संपत्ति से उक्त नुकसान की भरपाई ट्रस्ट को कराई जाए क्योंकि ढाई हजार गज जमीन कम नहीं होती। वर्तमान दरों से चंदे के पैसों से ना तो उसे खरीदना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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