Date: 08/09/2024, Time:

एड्स पीड़ितों की सेवा में मंगला ताई का है अहम योगदान, सरकार जंगलों में उपलब्ध कराए पर्याप्त मात्रा मेें जमीन

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संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बीते साल दुनिया में लगभग चार करोड़ लोगों में एडस की बीमारी देने वाला एचआईवी वायरस पाया गया। इनमें से 90 लाख लोग इसका कोई इलाज नहीं करा पाए जिससे हर मिनट इसका कोई ना कोई रोग मरता रहा। सरकार और इससे जुड़े संगठन के साथ ही यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानिमा का कहना है कि 2030 तक एडस को खत्म करने का संकल्प लिया है। मगर यह भी बताया जा रहा है कि 2023 में नए संक्रमण के 13 लाख मामले थे। अफ्रीका के कुछ हिस्सों में महिलाओं में एचवाईवी के मामले बढ़ने की बात कही जा रही है। अभी अगर देखें तो इसका इंजेक्शन पहुंच से दूर है। क्येांकि इतने 40,000 डॉलर के दो इंजेक्शन लगवा पाना हर आदमी के बस में नहीं है। खबर के अनुसार बीते साल दुनिया में लगभग 4 करोड़ लोगों में एड्स की बीमारी देने वाला एचआईवी वायरस पाया गया था।
यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र ने अपनी ताजा रिपोर्ट में किया है। यह हाल तब है जब दुनिया में एड्स महामारी को खत्म करने की दिशा में प्रगति की जा रही है। मगर यूएन की रिपोर्ट बताती है कि इसकी प्रगति की रफ्तार अब धीमी पड़ने लगी है। इसका कारण फंड का कम होना है। इस वजह से तीन नए क्षेत्रों मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया और लैटिन अमेरिका में इसका संक्रमण बढ़ रहा है।
बीते साल 6 लाख से अधिक लोगों की गई जान
एड्स से जुड़ी बीमारियों से 2023 में लगभग 6,30,000 लोग मारे गए। यह 2004 की 21 लाख मौतों के मुकाबले बहुत कम है। इस महामारी को खत्म करने की वैश्विक कोशिशों का नेतृत्व कर रही संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएनएड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नवीनतम आंकड़ा 2025 के लिए रखे गए 2,50,000 की कम मौतों के लक्ष्य से दोगुना से भी अधिक है।
2030 तक एड्स खत्म करेंगे
यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानिमा ने कहा, वैश्विक नेताओं ने 2030 तक एड्स को खत्म करने का संकल्प लिया है। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में नए संक्रमण तीन गुना से अधिक यानी 13 लाख थे।
लैंगिक असमानता से अफ्रीका के कुछ हिस्सों में किशोरियों और युवा महिलाओं में एचआईवी के मामले बढ़े। हाशिए पर रहने वाले समुदायों में वैश्विक स्तर पर नए संक्रमणों का अनुपात 2010 के 45 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 55 प्रतिशत हुआ। एक साल के लिए दो इंजेक्शन के दाम 40,000 डॉलर (33.47 लाख रु.) हैं, जो आम आदमी की पहुंच से बाहर है।
एडस दुनियाभर में एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीजों से दूर से सहानुभूति तो बहुत लोग दिखाते हैं लेकिन व्यक्तिगत रूप से ज्यादातर लोग इनके निकट जाना पसंद नहीं करते। मगर ऐसे समय में महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के तालुका बार्शी की 72 वर्षीय मंगला ताई द्वारा एडस पीड़ित बच्चों के इलाज और देखभाल और शिक्षा आदि के लिए जो प्रयास और काम किया जा रहा है उसकी जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है। वर्तमान समय में उनके केयर होम में 150 से अधिक एचआईवी संक्रमित बच्चे रह रहे हैं। जिनकी शिक्षा के लिए वहां स्कूल है और तरह तरह के कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाता है। सरकार अब मंगला ताई को कुछ सहयोग और सम्मान दे रही है। लेकिन मेरा मानना है कि इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों और बच्चों की देखभाल आदि में और लोगों की रूचि बढ़ाने के लिए केंद्र प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग को मंगला ताई और उनके जैसे अन्य लोग जो इस क्षेत्र में सेवा भाव से कार्य कर रहे हैं उन्हें आर्थिक सहयोग दिया जाए जिससे इस बीमारी का पूर्ण इलाज हो उतने इससे पीड़ित लोग अपने अंतिम समय तक एक अच्छे माहौल में मंगला ताई जैसे लोगों के प्रयासों से रह सके। रामायण काल में भगवान राम जब लंका पर चढ़ाई के लिए पुल बनवा रहे थे तब वहां वानरों के साथ साथ एक गिलहरी भी सहयोग कर रही थी। जब वानरों ने उसका मजाक उड़ाया तो भगवान राम ने कहा कि गिलहरी का सहयोग अपूर्व है। इसकी प्रशंसा होनी चाहिए। मेरा मानना है कि मंगला ताई की तारीफ भी हो और प्रशंसा भी लेकिन उतनी सुविधाएं उन्हें मिले जिससे वो एचआईवी ग्रसित व्यक्ति को सम्मान से जीने और खानपान की आसानी से कर पाएं इसके लिए उन्हें जंगल में जमीन आवंटित की जाए जिससे एडस पीड़ित समाज से अलग भी हो लेकिन खुली और ताजी हवा में सांस ले सके। इसके लिए जमीन और बजट का आवंटन करने के साथ जागरूकता भी वक्त की सबसे बड़ी मांग है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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