asd ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल को विपक्षी गठबंधन की मजबूती हेतु कांग्रेस को नेता मानना ही होगा

ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल को विपक्षी गठबंधन की मजबूती हेतु कांग्रेस को नेता मानना ही होगा

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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के कथन कि कांग्रेस ने दलित पिछड़ों का भरोसा बरकरार रखा होता तो आरएसएस सत्ता में ना होती। राहुल जी ने ऐसा क्यों कहा यह तो वो ही जाने लेकिन आरएसएस तो सत्ता में नहीं है। उसके समर्थन से भाजपा सरकारें चला रही है। लेकिन यह एक अच्छी बात है कि कांग्रेस के नेताओं से 1990 से जो अपने मतदाताओं के हितों की रक्षा करने में कमियां हुई उनका अहसास होने लगा है। मुझे लगता है कि अन्य विपक्षी दलों को भी अब वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मौजूद गलतियां सुधारने के प्रयास करने ही चाहिए। इसके लिए वो कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयान से सबक ले सकते हैं वो। जहां तक दिखाई दे रहा है सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तो बहुत ज्यादा कटु वचन विपक्षी नेताओं के बारे में नहीं बोल रहे हैं लेकिन पश्चिम बंगाल की सीएम और अरविंद केजरीवाल एक दूसरे को कमजोर दिखाने में कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। ममता बनर्जी का कहना है कि भाजपा कांग्रेस के कारण जीतती है और गठबंधन के बिखरने की वजह भी कांग्रेस ही है। ममता बनर्जी कह रही हैं कि मैं भाजपा के खिलाफ मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाना चाहती है। शुरू से मैंने मिनिमम कॉमन प्रोगाम पर काम किया और विपक्षी गठबंधन का नाम भी मैंने सुझाया था। कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन के नेता की कुर्सी देने की पेशकश भी की गई थी लेकिन फिर भी नेता आपस में लड़ते रहे।
ममता जी यह बात सही है कि पश्चिम बंगाल में आपकी स्थिति मजबूत हैं और कई बार से आप चुनाव जीतकर सरकार बनाने में सफल हो रही हैं लेकिन आप हो या अरविंद केजरीवाल या कोई और सबको एक बात जरूर समझनी होगी कि कांग्रेस जैसा दल किसी भी रूप में अपनी पहचान समाप्त नहीं कर सकता। इसलिए गठबंधन तो अवश्य है। मगर उसका नाम के चक्कर में पार्टिंयां अपना नाम बदल दें यह संभव नहीं होता। जहां तक कांग्रेस के कारण भाजपा के जीतने की बात है तो एक बात ममता जी आपको और केजरीवाल को भी समझनी होगी कि कांग्रेस देशभर की पार्टी है। हर जगह उसके नेता मतदाता है। इसलिए तालमेल जरूरी है। सहयोगी दलों के कहने पर वह चुनाव ना लड़े या कम सीटों पर समझौता करे इसे उचित नहीं कहा जा सकता। ममता ही आप अब तक पश्चिम बंगाल से बाहर अपनी राजनीतिक पकड़ नहीं बना पाई। केजरीवाल की पार्टी दिल्ली और पंजाब में जीतने में सफल रही। अगर आप चाहती हैं विपक्षी गठबंधन हो तो भले ही कांग्रेस केंद्र की सत्ता से बाहर हो लेकिन राष्ट्रीय पार्टी तो वह है ही। यह बात सभी दलों को समझनी होगी। कांग्रेस से सम्मानजनक समझौते करने होंगे तभी विपक्षी गठबंधन मजबूत होगा। कांग्रेस और उसके नेताओं पर आरोप लगाने से समस्या का समाधान होने वाला नहीं है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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