asd फर्जी पासपोर्ट बनाने पर होगी 7 साल की सजा और 10 लाख जुर्माना

फर्जी पासपोर्ट बनाने पर होगी 7 साल की सजा और 10 लाख जुर्माना

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नई दिल्ली 17 मार्च। अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को वापस भेजे जाने का मामला काफी गरमाया था. तब पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि डंकी रूट से लोगों को विदेश ले जाने वाले एजेंटों पर नकेल कसने की आवश्यकता है. अब इस दिशा में भारत सरकार ने बड़ी तैयारी की है. भारत में प्रवेश करने, रहने या छोड़ने के लिए फर्जी पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करते हुए पकड़े जाने वाले व्यक्ति को सात साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना पड़ सकता है.

11 मार्च को लोकसभा में पेश विधेयक के अनुसार, जो कोई भी जानबूझकर जाली या धोखाधड़ी से प्राप्त पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज या वीजा का उपयोग या आपूर्ति भारत में प्रवेश करने या भारत में रहने या भारत से बाहर जाने के लिए करता है, उसे कम से कम दो वर्ष की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही उसे कम से कम एक लाख रुपये और अधिकतम दस लाख रुपये तक के जुर्माने का भी भुगतान करना होगा.

नए इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल 2025 के तहत हवाई और समुद्री रास्तों से भारत में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्तियों को आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे। इसमें न सिर्फ पैसेंजर्स, बल्कि विमान और जहाजों के क्रू मेंबर्स को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति बिना वैध पासपोर्ट के भारत में प्रवेश करता है, तो उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा। खासकर, फर्जी पासपोर्ट या नकली दस्तावेजों का उपयोग करने वाले लोगों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

इस बिल के तहत फर्जी पासपोर्ट और नकली दस्तावेजों के निर्माण पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई व्यक्ति फर्जी पासपोर्ट या दस्तावेज़ बनवाता है, तो उसके खिलाफ 2 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही, 1 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। वहीं, यदि कोई विदेशी नागरिक बिना वैध पासपोर्ट के भारत में दाखिल होता है, तो उसे 5 साल तक की सजा या 5 लाख रुपये जुर्माना, या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। यह कदम देश में सुरक्षा को मजबूत करने और अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उठाया गया है।

इस नए बिल को लागू करने के लिए भारत सरकार को कई पुराने अधिनियमों में बदलाव करना पड़ेगा। जिन प्रमुख कानूनों में संशोधन किया जाएगा, उनमें पासपोर्ट (एंट्री इनटू इंडिया) अधिनियम 1920, रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेनर्स अधिनियम 1939, फॉरेनर्स अधिनियम 1946 और इमिग्रेशन (कैरियर्स लायबिलिटी) अधिनियम 2000 शामिल हैं। इन कानूनों में संशोधन के अलावा, केंद्र सरकार इन अधिनियमों को रद्द भी कर सकती है। यह सभी कदम देश की सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने और अवैध प्रवासियों को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए हैं।

इस नए इमिग्रेशन बिल के तहत वीजा ऑन अराइवल (VoA) की सुविधा को लेकर भी कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। वर्तमान में, भारत तीन देशों – जापान, दक्षिण कोरिया और यूएई – के नागरिकों को वीजा ऑन अराइवल की सुविधा देता है। इसका मतलब है कि इन देशों के नागरिक भारत में प्रवेश करने के बाद वीजा प्राप्त कर सकते हैं, जो उनकी यात्रा को सरल बनाता है। हालांकि, आने वाले समय में वीजा पद्धति और सख्त हो सकती है, और सरकार इसे नियंत्रित करने के लिए नए नियमों की घोषणा कर सकती है।

एक अधिकारी ने कहा कि यह विधेयक भारत में अवैध प्रवास की समस्या से निपटने में मदद करेगा तथा भारत में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहने वाले विदेशियों की गतिविधियों पर नजर रखने में सहायता करेगा. जबकि विदेशियों को सभी श्रेणियों के भारतीय वीज़ा विदेश स्थित भारतीय मिशनों या केन्द्रों द्वारा भौतिक या स्टीकर रूप में प्रदान किए जा सकते हैं, आव्रजन ब्यूरो (BoI) 167 देशों के लोगों को सात श्रेणियों के तहत इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा प्रदान करता है.

मौजूदा कानूनों के अनुसार, 180 दिनों से अधिक छात्र, चिकित्सा, अनुसंधान, रोजगार, मिशनरी और परियोजना वीजा पर आने वाले सभी विदेशियों को आगमन के 14 दिनों के भीतर उस स्थान पर अधिकार क्षेत्र वाले विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ) या संबंधित विदेशी पंजीकरण अधिकारी (एफआरओ) के पास पंजीकरण कराना आवश्यक है. पाकिस्तानी नागरिकों को अपने आगमन के 24 घंटे के भीतर पंजीकरण कराना आवश्यक है.

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