1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। नियम के बावजूद 1991 में पूजा स्थल कानून लागू किया गया था। इन दोनों नियमों को ध्यान में रखकर कुछ संगठन और लोग पूजा स्थल कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहे पर कोर्ट ने नई याचिकाओं को लेकर जताई आपत्ति। पूजा स्थल अधिनियम 1991 की वैधता से संबंधित मामले में आई कई याचिकाओं पर नाराजगी व्यक्त की और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने यह संदेश दिया कि लंबित अनुसूचित याचिकाओं पर वह सुनवाई नहीं कर सकती। अनकहे रूप में इसके बाद बहुसंख्यकों और हिंदूवादी संगठनों द्वारा जो समाज को एक झंडे के नीचे एकत्र करने के प्रयास किए जा रहे थे, उन्हें झटका लगने की उम्मीद को लेकर समाज में चर्चाएं सुनने को मिल रही थी। लेकिन मेरा मानना है कि पिछले एक दशक में इसे असुनियोजित प्रयास कहे या भगवान की मर्जी कुछ ऐसे मुददे सामने आ रहे हैं जिनसे हिंदु समाज जातिवाद भूल बड़ी संख्या में एकजुट हो रहा है। इसे लेकर कुछ नागरिकों का यह कहना भी सही लगता है कि वर्तमान में जो भाजपा का परचम सब जगह फहरा रहा है चाहे वह विधानसभा के चुनाव रहे हो या लोकसभा या नगर निगम के उनमें भाजपा को जीत मिली। उदाहरण के रूप में 15 नवंबर 2024 को रिलीज हुई फिल्म साबरमती रिपोर्ट अगर कोई पूरी देख ले तो उसे यह लगता है कि अयोध्या से लौट रहे श्रद्धालुओं पर जानबूझकर हमला हुआ और उन्हें मारा गया। पहले संजय चंदेल बाद में धीरज सरना द्वारा विक्रांस मैसी रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना को लेकर बनाई गई यह फिल्म गोधरा रेल कांड में जो हुआ उसे काफी विस्तार से दिखाने में सफल रही और दर्शकों की राय में यह बात स्पष्ट होती जा रही है कि सक षडयंत्र के तहत शायद अयोध्या से लौटे श्रद्धालुओं को साबरमती में घेरकर उक्त कांड को अंजाम दिया गया था। अब चर्चा करें वर्तमान में बीती 14 फरवरी को रिलीज हुई और मात्र पांच दिन में 116 करोड़ रूपये कमाकर 100 करोड़ से ऊपर के क्लब में शामिल हुई निर्माता दिनेश विजान और लक्ष्मण उतरेकर की फिल्म ने किस प्रकार से बहुसंख्यकों का समर्थन प्राप्त किया है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बीते दिनों गुजरात के भरूच में एक मल्टीप्लेक्स सिनेमा में चल रही फिल्म छावा को देखकर स्क्रीन फाड़ दी। फिल्म अभिनेता विक्की कौशल महान मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी और रश्मिका मंदाना उनकी पत्नी येशु की भूमिका में है तो साथ में अक्षय खन्ना और आशुतोष राणा आदि ने भी फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। और उस दौरान महान योद्धा पर किस प्रकार से अत्याचार किए गए उसका जो वर्णन जो रहा है उसने वर्तमान समय में दर्शकों खासकर बहुसंख्यकों की भावनाओं को स्पष्ट रूप से आहत किया है कि वह महान मराठा योद्धा पर हुए अत्याचार से उद्धेलित है। जिन्हें देखकर कहा जा सकता है कि साबरमती व छावा जैसी फिल्में भाजपा को मजबूत करते हुए देश को पूर्ण बहुमत की सरकारें दे रही हैं। देखना यह है कि लंबे समय तक जनमानस की भावनओं पर आगे कितना खरी उतरती है भाजपा और उनके सहयोगियों की सरकारें। लेकिन अभी जिस प्रकार से कुंभद के दौरान सनातन धर्म के प्रति रूझान और सनातनियों का संगठित होना भी इस बात का प्रतीक है कि भले ही कुछ भी हो बहुंसख्यकांें के साथ साथ अन्य वर्ग के मतदाता भी पीएम मोदी प्रति मजबूती से विश्वास व्यक्त कर रहे हैं। उसी का परिणाम है कि दिल्ली में पहले कांग्रेस और फिर दस साल से सरकार चला रही आप पार्टी को सत्ता से बाहर कर मोदी में विश्वास व्यक्त करते हुए मतदाताओं ने पूर्ण बहुमत से दिल्ली में भाजपा को सरकार बनाने का मौका दिया। कल अनेक प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं की मौजूदगी में जो भी नया सीएम बनेगा वो शपथ लेगा। यह समय बताएगा कि आप को बाहर कर नया सीएम जनभावनाओं पर कितना खरा उतरेगा।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महाकुंभ आयोजन और साबरमती व छावा जैसी फिल्मों से बहुसंख्यक हो रहे हैं एक, भाजपा को मिल रही है सफलता
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