संयुक्त राष्ट्र 29 मई। भारतीय सेना की मेजर राधिका सेन को 2023 के यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड के लिए चयनित किया गया है। यह पुरस्कार महिलाओं और लड़कियों के एक शांति रक्षक के रूप में उनके समर्थन को स्वीकृति देता है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने शुभकामना देते हुए उन्हें एक सच्ची और आदर्श नेता बताया है। उन्होंने कहा कि उनकी सेवा समग्र रूप से संयुक्त राष्ट्र के प्रति एक सच्ची सद्भावना थी।
श्री गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजेरिक ने कहा कि यह पुरस्कार मेजर राधिका सेन को बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय शांति रक्षक दिवस के दिन श्री गुतारेस प्रदान करेंगे। यह पुरस्कार 2000 के सुरक्षा परिषद प्रस्ताव के सिद्धांतों को बढ़ावा देने में एक सैन्य शांति रक्षक के प्रयासों को मान्यता देता है। यह प्रस्ताव महिलाओं और लड़कियों को संघर्ष संबंधी यौन हिंसा और संयुक्त राष्ट्र के लिए लैंगिक संबंधी जिम्मेदारियों की रक्षा का आह्वान करता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार मेजर राधिका सेन ने कांगो गणराज्य में संगठन स्थिरीकरण मिशन में अपनी सेवाएं दीं। वहां उन्होंने उत्तर किवू में कम्युनिटी अलर्ट नेटवर्क स्थापित करने में सहायता दी। मेजर राधिका सेन यह पुरस्कार पाने वाली दूसरी भारतीय शांति रक्षक हैं। उनसे पहले दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन में सेवारत मेजर सुमन गवानी ने यह सम्मान 2019 में प्राप्त किया था।
बता दें कि मेजर सेन भारतीय त्वरित तैनाती बटालियन की कमांडर के तौर पर मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक कांगो गणराज्य के पूर्व में तैनात थीं। वह मूल रूप से हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं। उनका जन्म 1993 में हुआ था और वह आठ साल पहले भारतीय सेना में भर्ती हुई थीं। मेजर राधिका सेन ने बायोटेक इंजीनियर में स्नातक किया, इसके बाद ही उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया था।
राधिका सेन ने बताया कि उनका एंगेजमेंट प्लाटूर होने का मुख्य उद्देश्य लोगों को कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करना था। उन्होंने कहा, “किसी भी संघर्ष वाले इलाके में महिलाएं एवं लड़कियां ही असमान रूप से प्रभावित होती हैं।” मेजर सेन ने आगे कहा कि उनका और उनकी टीम का प्रयास उन महिलाओं और लड़कियों तक पहुंचना था। उनसे उनकी परेशानियों को लेकर बात करना और उन परेशानियों से उन्हें बाहर निकालना था।
मेजर सेन ने कहा, “आज की दुनिया में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि महिलाएं एक-दूसरे का समर्थन करें और समाज में मौजूद भेदभावपूर्ण मानदंडों से लड़ें। महिलाओं को सशक्त बनाने में रोजगार की अहम भूमिका है। इस दौरान पुरुषों को भी महिलाओं का समर्थन करना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “हम महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षा देते थे।” बता दें कि वर्तमान समय में भारत यूएन में महिला सैन्य शांति सैनिकों 11वां सबसे बड़ा योगदान देने वाले देशों में से एक है।