गोवर्धन 10 जुलाई। गोवर्धन पर्वत की तलहटी में बुधवार को असाधारण दृश्य था । जगप्रसिद्ध मुड़िया मेले में श्रद्धा के ! समंदर ने सभी कयास ध्वस्त कर दिए। जिन मार्गों को 21 किमी परिक्रमा क्षेत्र माना जाता है, वह 35 किमी के आस्था क्षेत्र में बदल गए। पूरे मार्ग में जय गोवर्धन, जय गिरिराज जी के जयकारे लगते रहे । महाप्रभु के मंदिर में मुड़िया संतों ने सिर मुंडवाकर 469 वर्षों से लगातार निभाई जा रही परंपरा का निर्वहन किया।
10 जुलाई तक चलने वाले मुड़िया मेले में हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती रही। गुरुवार को गुरु पूर्णिमा के चलते बुधवार सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी तो फिर बढ़ती ही रही। शाम पांच बजे पूरे गोवर्धन के साथ ही परिक्रमा मार्ग पर मानव श्रृंखला बन गई। मृदंग, ढोल और मजीरों की थाप पर हरिनाम संकीर्तन करता हुआ संत समाज, राधे-राधे की गूंज में डूबे श्रद्धालु और सिर पर श्रद्धा व समर्पण का श्रृंगार लिए भक्तों ने गोवर्धन धरा को भक्ति की भागीरथी से सराबोर कर दिया। यहां पांच दिन तक रात का कोई मतलब नहीं है। भक्ति, सेवा और व्यापार तीनों निरंतर जागते रहे। मेला क्षेत्र की जगमगाहट और श्रद्धा की रोशनी ने अंधेरे को भी किनारे कर दिया। गोवर्धन की ओर आने वाला हर रास्ता भीड़ के कारण मेला क्षेत्र में तब्दील हो गया था। गुरु पूर्णिमा से पहले ही 21 किमी की परिक्रमा लगाने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंच गए। शाम को वर्षा भी हुई, लेकिन श्रद्धालु के कदम नहीं थमे । वह गिरिराज के जयकारे लगाकर परिक्रमा मार्ग पर बढ़ते रहे। जब मेला शुरू हुआ तो भीड़ को लेकर संशय था, लेकिन में मेले में उमड़े श्रद्धावानों ने सिद्ध कर दिया कि सब देवन कौ देव है राजा ‘श्रीगिरिराज’ ।
आज निकलेगी 469वीं शोभायात्रा
गिरिराज महाराज की परिक्रमा करने वाले महान संत श्रीपाद सनातन गोस्वामी की स्मृति आयोजित मुड़िया महोत्सव में श्याम सुंदर मंदिर में बुधवार को मुड़िया संतों ने सिर मुंडवाकर सनातन परंपरा का निर्वहन किया। गुरुवार को दो पारंपरिक मुड़िया शोभायात्राएं निकाली जाएंगी। पहली यात्रा सुबह राधा श्याम सुंदर मंदिर से महंत रामकृष्ण दास के नेतृत्व में निकलेगी। दूसरी यात्रा शाम को महाप्रभु मंदिर से महंत गोपाल दास के नेतृत्व में रवाना होगी। ये यात्राएं सनातन परंपरा की जीवंत झलक पेश करेंगी।