प्रयागराज 11 दिसंबर। संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में जहां एक तरफ श्रद्धालुओं की संख्या का इतिहास बनेगा तो वहीं दूसरी तरफ योगी सरकार मॉडर्न टेक्नोलॉजी की मदद से दुनिया का सबसे बड़ा हेडकाउंट कर नया रिकॉर्ड कायम करेगी. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार के महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आएंगे.
मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बताया कि श्रद्धालुओं की गिनती के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। श्रद्धालुओं को ट्रैक करने के लिए मेला क्षेत्र के अंदर 200 स्थानों पर लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। वहीं, शहर में 268 स्थानों पर 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। यही नहीं, 100 से अधिक पार्किंग स्थलों पर 720 सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं। आई ट्रिपल सी और पुलिस लाइन कंट्रोल रूम के अतिरिक्त अरैल और झूंसी क्षेत्र में भी व्यूइंग सेंटर्स बनाए गए हैं। मैनेजमेंट रियल टाइम अलर्ट जनरेट करेगा, जिसके माध्यम से संबंधित अधिकारियों को श्रद्धालुओं की काउंटिंग और ट्रैकिंग करना आसान होगा।
श्रद्धालु की बार-बार गिनती न हो, इसके लिए टर्न अराउंड साइकिल महत्वपूर्ण होगा। इसको ट्रैक करने के लिए कोचरंस फॉर्मूला तकनीक का उपयोग किया जाएगा। मुख्य पर्वों के अलावा अन्य दिनों में अनुमानित जनसंख्या 20 लाख और पर्वों पर 10 करोड़ लेते हुए सैंपल गिने जाते हैं।
इन तीन विधियों से होगी गिनती
पहली विधि एट्रिब्यूट आधारित खोज होगी, इसमें पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर ट्रैकिंग की जाएगी। दूसरी आरएफआईडी रिस्ट बैंड पर आधारित होगी। इसमें प्रमुख स्नान पर्वों के साथ महाकुंभ में प्रत्येक दिन आने वाले श्रद्धालुओं को रिस्ट बैंड प्रदान किए जाएंगे। पता चलेगा कि तीर्थयात्री ने मेला क्षेत्र में कितना समय बिताया, कितनी देर वह अंदर रहा और कितनी देर बाहर रहा। तीसरी विधि मोबाइल एप के द्वारा ट्रैकिंग की होगी, जिसमें तीर्थ यात्रियों की सहमति पर मोबाइल एप के जीपीएस के जरिये उनकी लोकेशन ट्रैक की जा सकेगी।
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती के लिए कैमरे हर मिनट डाटा अपडेट करेंगे। पूरा फोकस घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं पर होगा। यह सिस्टम तड़के तीन बजे से शाम सात बजे तक पूरी तरह एक्टिव रहेगा। यही स्नान का प्रमुख समय माना गया है। इससे पहले माघ मेला के दौरान भी इन विधियों का उपयोग किया गया था। इसके माध्यम से लोगों की संख्या का 95 फीसदी तक सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।