Date: 26/12/2024, Time:

भगवान शिव को सुरक्षा की जरूरत नहींः हाईकोर्ट

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नई दिल्ली 30 मई। ‘भगवान शिव को किसी के संरक्षण की आवश्यकता नहीं है.’ दिल्ली उच्च न्यायालय ने यमुना नदी के डूब क्षेत्र में अनधिकृत तरीके से निर्मित मंदिर को हटाने से संबंधित याचिका में भगवान शिव को पक्षकार बनाने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की.

उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि यमुना नदी के तलहटी क्षेत्र और बाढ़ वाले इलाकों को सभी अतिक्रमणों और अनधिकृत निर्माण से मुक्त कर दिया जाता है तो भगवान शिव अधिक प्रसन्न होंगे. अदालत ने डूब क्षेत्र के निकट गीता कॉलोनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को ध्वस्त करने संबंधी आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए ये टिप्पणियां कीं.

न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने कहा, ‘याचिकाकर्ता के वकील द्वारा आधे-अधूरे मन से दी गई यह दलील कि मंदिर के देवता होने के नाते भगवान शिव को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए, उसके सदस्यों के निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए पूरे विवाद को एक अलग रंग देने का एक हताशाजनक प्रयास है.’

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि भगवान शिव को हमारे संरक्षण की जरूरत नहीं है. बल्कि, हम, लोग, उनसे सुरक्षा और आशीष चाहते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर यमुना नदी के तलहटी क्षेत्र और डूब वाले इलाकों को सभी अतिक्रमणों और अनधिकृत निर्माण से मुक्त कर दिया जाता है तो भगवान शिव अधिक खुश होंगे.’

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि मंदिर आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र है, जहां नियमित रूप से 300 से 400 श्रद्धालु आते हैं. याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता सोसायटी को मंदिर की संपत्ति की पारदर्शिता, जवाबदेही और जिम्मेदार प्रबंधन को बनाये रखने के उद्देश्य से 2018 में पंजीकृत किया गया था.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता सोसायटी भूमि पर अपने स्वामित्व, अधिकार या हित के संबंध में कोई दस्तावेज दिखाने में पूरी तरह विफल रही है और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मंदिर का कोई ऐतिहासिक महत्व है.

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