वैसे तो नागरिकों की धार्मिक आस्था हमेशा ही अग्रणीय रही है लेकिन पिछले कई सालों से आस्था बढ़ने के साथ साथ नागरिकों की भावनाएं भुनाने का धंधा भी कुछ लोगों द्वारा शुरू किया गया है। पिछले कुड सालों में अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर फर्जी खाते खोल चंदा उगाहने की खबरें मिली थी। बाकी तो देश में कुछ लोगों ने नई संस्थाएं बनाकर तो कुछ ने पुरानी को ही हथिया कर उन पर कब्जा जमाने और चंदा उगाहने का धंधा शुरू कर दिया बताते है। ऐसी बातें आए दिन सुनने पढ़ने को खूब मिलती है। कितने ही मामलों में क्योंकि हर प्रदेश में मंदिर मठों और ट्रस्टों का पंजीकरण अनिवार्य नहीं किया गया है इसलिए कितना चंदा आया इसका हिसाब संस्थाओं के संचालक नहीं देते हैं और धार्मिक भावना को भुनाकर गुलछर्रे उड़ा रहे बताए जाते हैं।
बिहार सरकार द्वारा इस बारे में एक अच्छा निर्णय लेकर आदेश जारी किए गए हैं। इस संबंध में खबर के अनुसार बिहार में अब मठों, मंदिरों और धार्मिक न्यायों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। फिर भी बड़ी संख्या में इनका पंजीयन होना बाकी है। राज्य के 20 जिलों में इनकी संपत्ति का लेखा-जोखा धार्मिक न्यास पर्षद के पास नहीं है। संपत्ति के मामले में अपंजीकृत मठ मंदिर अधिक संपन्न हैं। बताया जा रहा है कि सिर्फ 18 जिलों के पंजीकरण का ब्योरा न्यास पर्षद के वेबसाइट पर दर्ज है। पंजीकरण की अनिवार्यता धर्मशाला के लिए भी है, लेकिन बड़ी संख्या में धर्मशालाओं का संचालन बिना पंजीकरण के हो रहा है।
विधि मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि जल्द ही एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई जाएगी। इसमें विधि एवं राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। कहा गया कि धार्मिक न्याय पर्षद के अनुसार, राज्य में ढाई हजार से अधिक मठ और मंदिर अपंजीकृत हैं। इसके पास 43 सौ एकड़ से अधिक जमीन है।
राज्य में पंजीकृत मंदिरों की संख्या भी ढाई हजार के करीब है और इनके पास साढ़े 18 हजार 456 एकड़ जमीन है। वैशाली में सबसे अधिक 438 अपंजीकृत मठ-मंदिर वैशाली जिला में है। कैमूर में 307, पश्चिमी चंपारण में 273, भागलपुर में 191, बेगूसराय में 185, सारण में 154 एवं गया में 152 मठ मंदिर अपंजीकृत हैं। ऐसे में विधि विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को नया काम सौंपा है। उनको मठों, मंदिरों और धार्मिक न्यायों की चल अचल संपत्ति का पता लगाने की जिम्मेदारी मिली है। इनके बारे में जानकारी जुटाकर डीएम बिहार राज्य धार्मिक न्याय पर्षद को देंगे।
मेरा मानना है कि बिहार की भांति यूपी सहित देश के सभी राज्यों में मठ मंदिरों ट्रस्टों एवं धार्मिक संस्थाओं रामलीला कराने वाले संगठनों का पंजीकरण कराना अनिवार्य किया जाए। पिछले दिनों कुछ ऐसी खबरें पढ़ने को मिली थी यूपी में इस बारे में कुछ आदेश हुए हैं लेकिन उनका पालन नहीं हो पा रहा है। विभागों को इस बारे में समीक्षा कर सभी धार्मिक संस्थाओं का पंजीकरण अनिवार्य करना चाहिए इससे नागरिक जो पैसा संगठनों को दे रहे है। वो कहां और कैसे खर्च हो रहा है इसका हिसाब प्राप्त हो सके और संचालक इसका दुरूपयोग अपने हितों अथवा बड़े जनप्रतिनिधियों और अफसरों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए उपयोग ना कर पाएं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
बिहार की तरह यूपी में भी मंदिरों मठों ट्रस्टों एवं संस्थाओं का पंजीकरण हो अनिवार्य
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