Date: 22/12/2024, Time:

सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सभी दलों के नेता वार्ता कर निपटाए

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देश के 72 साल के इतिहास में पहली बार राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ जी के खिलाफ विपक्ष द्वारा 70 सांसदों के हस्ताक्षरों से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि किसान के बेटे को देशसेवा करने में बाधा पहुंचा रहा है विपक्ष। तो विपक्ष के नेता कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि सरकार के प्रवक्ता बन गए हैं सभापति जगदीप धनखड़। सदन में मंत्रियों की ढाल बन जाते हैं। सदन में नथिंग गोज ऑन रिकॉर्ड सुन सुनकर थक गए हैं। हमें अविश्वास प्रस्ताव के लिए मजबूर किया गया। क्योंकि सरकार के हिसाब से कम करते हैं सभापति जगदीप धनखड़ और वो अगली पदोन्नति के लिए बन गए हैं सरकार के प्रवक्ता। इसलिए विपक्ष की आवाज रोकने की करते हैं कोशिश। तो किरेन रिजीजु का कहना है कि विपक्षी सदस्य सदन के लायक नहीं है। सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव देकर विपक्ष ने पीठ की गरिमा गिराई। तो सदन के नेता जेपी नडडा का कहना है कि सोरोस मुददे से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहा है विपक्ष। भाजपा सांसद राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के नोटिस और ईवीएम मुददे पर सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय दुखद है। धनखड़ को नोटिस जाट समुदाय के बेटे का अपमान है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि कांग्रेस सरकार में तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के कार्यकाल में था पक्षपाती रवैया लेकिन हम अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाए। दूसरी ओर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का कहना है कि अदाणी मुददे को नहीं छोड़ेगी कांग्रेस। हम इस मुददे को लेकर सदन में व्यवधान उत्पन्न नहीं करना चाहते। कुल मिलाकर अगर देखें तो इस प्रकरण में पक्ष और विपक्ष अपनी अपनी बात प्रभावशाली रूप से रखकर नागरिकों को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि वो पूरी तौर पर सही है। मगर यह प्रस्ताव विपक्ष की निगाह में सही और सत्ता पक्ष की निगाह में गलत है। दोनों ही कही जातिगत आधार पर तो कहीं आरोप प्रत्यारोप कर अपनी बात को सही सिद्ध करना चाहते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि जिस प्रकार से लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपनी बात कही उनसे सदन चलाने का आग्रह किया। इससे यह लगता है कि विपक्ष भी हर मुददे को लेकर सदन संचालन में अब व्यवधान उत्पन्न नहीं करना चाहता। अगर यही दृष्टिकोण राज्यसभा में सभापति के विरूद्ध लाए गए प्रस्ताव के बारे में अपनाया जाए तो मुझे लगता है कि वो विपक्ष की गरिमा तो कायम करेगा ही सभापति का मान सम्मान कायम रहेगा। जहां तक सदन में सभापति के मंत्रियों की ढाल बनना और अगले प्रमोशन को दृष्टिगत काम करने की बात और सरकार के प्रवक्ता जो बिंदु हैं इस पर विपक्ष के नेताओं को मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में उपराष्ट्रपति से वार्ता कर इस मुददे का समाधान खोजा जाना चाहिए।
कुछ लोगों में ऐसी चर्चा भी है कि पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहते हुए वर्तमान राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और वहां की सीएम ममता बनर्जी के बीच पूरे कार्यकाल 36 का आंकड़ा बना रहा। और अभी पिछले दिनों ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन के नेता के रूप में महिमामंडन किए जाने की शुरू हुई मुहिम और कांग्रेस को नजरअंदाज करने के सिलसिले से ध्यान हटाने और ममता बनर्जी को खुश करने के लिए सभापति के खिलाफ 70 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिससे ममता बनर्जी और अन्य दलों के नेता कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार करते रहें। जो भी हो एक बात सही है कि अगर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इस मुददे पर विपक्ष के साथ ना खड़े होते तो अविश्वास प्रस्ताव लाना संभव नहीं था।
जब भी देश में कोई कठिनाई सामने आई है। सभी राजनीतिक दलों के नेता और जनता एकजुट खड़ी दिखाई दी है ऐसा ही देश के मान सम्मान और गरिमा बनाए रखने हेतु हम एक झंडे के नीचे खड़े नजर आते है। मेरा मानना है कि लोकसभा और राज्यसभा दो महत्वपूर्ण सदन हैं और इनमें विराजमान किसी भी व्यक्ति के सम्मान को ठेस ना पहुंचे इस बात को ध्यान रखते हुए विपक्ष मुददो पर विरोध जारी रखे लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के मामले में भाजपा अध्यक्ष को सभी दलों के अध्यक्षों और नेताओं से वार्ता कर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ही इस मामले का समाधान खोजा जाना चाहिए और पीएम मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भी इस प्रकरण को समाप्त कराने के लिए करनी चाहिए पहल। क्योंकि राहुल गांधी सदन चलाने की बात कहकर लोकसभा को निर्विघन रूप से चलाने पर सहमति व्यक्त कर चुके हैं। इसलिए यह सोचा जा सकता है कि उनकी सोच सही दिशा में अग्रसर है। अगर सही माहौल बनाया जाए तो अविश्वास प्रस्ताव का मामला भी विचार विमर्श से निपट सकता है। जरूरत सत्ता पक्ष को विपक्ष को एक दूसरे की भावनाएं समझने की है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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