कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जागरूक करने एवं पार्टी का जनाधार बढ़ाने हेतु अहमदाबाद में साबरमती के किनारे 2025 तक संगठन को सुधारने का लक्ष्यम इस बैठक में रखा गया। बीते दिवस शुरू हुए दो दिवसीय पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में लगभग 300 से ज्यादा जिलाध्यक्षों ने भाग लिया और अपने नेताओं को सुना। इस सम्मेलन में मौजूद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत सभी बड़े नेताओं ने भाग लिया। कार्यकर्ताओं में जोश भरने एवं उन्हें संगठित करने हेतु अपने विचार रखे। अगर ध्यान से देखें तो संगठन छोटा हो या बड़ा समय समय पर उसके नेता कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने और वर्तमान परिस्थितियों से उसका सामना कराकर उसके मुकाबले हेतु इस प्रकार के अधिवेशन कराकर कांग्रेस आदि को करते ही रहने चाहिए। इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष का यह कथन काफी महत्वपूर्ण रहा कि काम नहीं करने वाले निष्क्रिय नेताओ को रिटायर किया जाएगा। वक्फ कानून को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि यह कानून संविधान विरोधी है। ईसाईयों और सिक्खों को भी बनाया जाएगा निशाना। उन्होंने कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में कहा कि जनता भाजपा से तंग आ चुकी है। आने वाले समय में बदलाव होने जा रहा है। नेताओं ने यह भी कहा कि ट्रंप के टैरिफ पर तूफान आने वाला है तो खरगे बोले कि पूरी दुनिया में बैलेट पेपर से चुनाव हो रहा है लेकिन हमारे यहां ईवीएम से चुनाव के नाम पर धोखाधड़ी की जा रही है। इस मौके पर कांग्रेस ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की विरासत को अपना बता भाजपा से वैचारिक जंग का ऐलान किया और कहा कि भाजपा भाषा और संस्कृति के आधार पर विभाजन की खाई पैदा कर रही है। इस मौके पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी की रणनीति में थोड़ा बदलाव भी जरूरी है क्योंकि हम दलित मुस्लिम और ब्राहमण में उलझे रहे तो ओबीसी साथ छोड़ गए। इस कारण से 1951 के बाद उत्तर प्रदेश में हम सत्ता से बाहर हो गए। हम मुस्लिमों की बात करते हैं तो हमें कई बार मुस्लिम परस्त बोला जाता है जिससे हमें डरना नहीं चाहिए। हमें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना है। यह अधिवेशन सभी में शक्ति और ऊर्जा का संचार करेगा।
बताते हैं कि इस अधिवेशन में पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम वरिष्ठ नेता शशि थरूर प्रियंका गांधी समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे और लगभग हर प्रदेश के नेताओं की उपस्थिति जिलाध्यक्षों के साथ ही प्रमुखता से रही।
कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। इसमें प्रबुद्धता रखने वाले नेता मौजूद है। इसलिए कब क्या करना चाहिए यह उनसे ज्यादा कोई नहीं जानता लेकिन जो सबसे बड़ी आवश्यकता सत्ता में लौटने के लिए है वो यह है कि पार्टी में गुटबाजी समाप्त की जाए। पुराने वरिष्ठ नेताओं को सम्मान दिया जाए। और सक्रिय कार्यकर्ता और पार्टी से जुड़े लोगों को बिना किसी भेदभाव के जिम्मेदारी दी जाए। वर्तमान आवश्यकता को देखते हुए किसी जाति या वर्ग में ना पड़कर देश के उस आम आदमी के बारे में बात करे तो इस समय मानसिक सामाजिक आर्थिक रूप से परेशान है। मेरा मानना है कि कांग्रेस के नेता वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान रखते हुए आम आदमी की समस्याओं के समाधान के लिए हर जिले में एक कमेटी बनाएं जो समाचार पत्र देखकर और जनमानस से मिलकर यह पता लगाए कि क्या परेशानियां है। शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार व्यापार और बढ़ते अपराधों के मुददों को उठाया जाए तो यह बात विश्वास से कही जा सकती हे कि अगले विधानसभा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार में आए या ना आए लेकिन उसका वोट प्रतिशत हर हाल में बढ़ेगा और उसके कार्यकर्ताओं में उर्जा का संचार होगा इस बात से इनकार नहीं किया सकता। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे का यह कथन बिल्कुल सही है कि पार्टी में निष्क्रिय बड़े पदों पर आसीन नेताअेां को बाहर का रास्ता तो नहीं दिखाना चाहिए लेकिन उन्हें और काम सौंपे जाए उससे संगठन भी मजबूत होगा। जनसमस्याएं उजागर की जाएंगी तो सरकार का ध्यान जाएगा। गुटबाजी दूर होने से एक दूसरे का सम्मान बढ़ेगा। तो यह कह सकते हैं कि कांग्रेस अभी नंबर वन ना बन पाए लेकिन मजबूत बहुत हो जाएगी।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कांग्रेस के अधिवेशन से नेता कार्यकर्ता होंगे सक्रिय, पार्टी जाति और वर्गवाद में ना पड़कर समस्याओं को उठाए, सक्रिय नेताओं को आगे लाए और पुरानों का करने सम्मान तो ?
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