लोकसभा 2024 के हो रहे चुनावों के लिए सात चरणों में से दो का मतदान हो चुका है। पांच का बाकी है। उनमें क्या होता है यह तो अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन इन दो चरणों में जो मतदान हुआ उससे संबंध जो खबरें पढ़ने सुनने देखने को मिल रही हैं उससे यह लगता है कि ज्यादातर क्षेत्रों में टक्कर बराबर की रही है। कई स्थानों पर त्रिकोणीय संघर्ष की चर्चा रही मगर जितना दिखाई दिया उससे यही लगा कि विपक्षी सपा गठबंधन और भाजपा उम्मीदवारों में मुकाबला ज्यादातर क्षेत्रों में सीधा रहा। कहीं साईकिल दौड़ी तो कहीं कमल भी खूब खिला। इस बार सबसे बड़ी बात यह रही कि मतदान कराने में लोकतंत्र के इस महापर्व के दौरान भाजपा थोड़ा पीछे और सपाई व कांग्रेसी थोड़ा आगे नजर आए। इसे चल रही लू और पारा 41 के पार पहुंच जाने का असर कहें अथवा कार्यकर्ताओं में जोश की कमी जो भी हो सपा गठबंधन के नेता और कार्यकर्ताओं में भी भाजपाईयों से कम जोश नजर नहीं आ रहा था।
सबसे आश्चर्य की बात यह रही कि कुल मिलाकर लगभग 60 प्रतिशत के आसपास हुई वोटिंग लेकिन बागपत में मत प्रतिशत कम था तो हमेशा भाजपा उम्मीदवार के लिए वरदान साबित होने वाले मेरठ कैंट विधानसभा क्षेत्र में भी मतदान कम और किठौर में ज्यादा हुआ। बताते हैं कि स्थानीय सपा विधायक शाहिद मंजूर द्वारा की गई व्यूह रचना के तहत गठबंधन के कार्यकर्ता वोटों को निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। प्रयास कैंट विधायक अमित अग्रवाल के भी कम नहीं रहे लेकिन मतदाताओं में वो उत्साह दिखाई नहीं दिया जो पूर्व में जब राजेंद्र अग्रवाल चुनाव लड़ते थे तो नजर आता था। बताते हैं कि अंतिम तीन घंटे में किठौर और शहर विधानसभा क्षेत्र में जमकर वोटों की बारिश हुई। कुछ लोगों का यह भी कहना था कि जुम्मे की नमाज के बाद कुछ क्षेत्रों में मतदान एकदम बढ़ा।
उच्च न्यायालय का यह कथन बिल्कुल सही है कि ईवीएम ने बूथ कैप्चरिंग को खत्म किया और हर व्यक्ति को निर्वाचन आयोग की सख्ती के चलते वोट डालने का मौका मिला। ईवीएम से पड़े वोट की गिनती भी जल्दी होती है और किसी को मतपत्र लूटने का मौका भी नहीं मिलता। इसलिए कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि भले ही कुछ राजनीतिक दल और उनके कार्यकर्ता ईवीएम को लेकर सवाल उठा रहे हो मगर इस मशीन ने सबको वोट डालने का अधिकार दिलाया और मतदाता में भी विश्वास पैदा हुआ और आपसी सदभाव भी बढ़ा है क्योंकि मतपत्र छिनने से जो मनमुटाव होता था वो कहीं नजर नहीं आया। पिछले चुनावों में जो बात देखने को मिलती थी कि संभावित हारने वाला उम्मीदवार तमाम तरह के आरोप लगाता था जो इस बार नजर नहीं आए।
जानकारी अनुसार मेरठ में 60, बागपत में 56 गाजियाबाद में 50 मथुरा में 49 गौतमबुद्धनगर में 53 अमरोहा में 64 अलीगढ़ में 57 बुलंदशहर में 56 प्रतिशत मतदान हुआ। अमरोहा में सबसे ज्यादा प्रतिशत मतदान हुआ।
आठों लोकसभा क्षेत्रों में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी तथा निर्वाचन में लगे अन्य अफसर निरंतर भागदौड़ करते रहे। परिणामस्वरूप कहीं से भी किसी बड़ी चुनावी अनहोनी घटना की खबर पढ़ने सुनने को नहीं मिली। मेरठ मंडल के मेरठ बागपत गाजियाबाद गौतमबुद्धनगर बुलंदशहर पांच लोकसभा क्षेत्रों में होने वाले मतदान पर मेरठ मंडलायुक्त सेल्वा कुमारी जे. और उनके सहयोगी अपर आयुक्त शमशाद अहमद व आशुतोष गौतम पूरी नजर रखे थे तो एडीजी डीके ठाकुर और आईजी नचिकेता झा बताते हैं कि मिनट मिनट की खबरे ले रहे थे। इनके सहयोगी अधिकारी भी चाक चौबंद रहे। तो किसी को अपनी असामाजिक तत्वों जैसी कारगुजारी दिखाने का मौका नहीं मिला। मेरठ हापुड़ लोकसभा क्षेत्र में सपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा के पति पूर्व विधायक योगेश वर्मा और भाजपा के छावनी मंडल अध्यक्ष अंकित सिंघल के बीच झड़प की खबरें सुनने को मिली लेकिन इतने बड़े मतदान में यह कोई बड़ी बात नहीं थी। जिलाधिकारी दीपक मीणा एसएसपी रोहित सिंह सजवाण अपने सहयोगियों के साथ निरंतर राउंड पर थे और हर छोटी बड़ी घटना का संज्ञान ले रहे थे। जिसका परिणाम यह रहा कि कहीं भी कोई बड़ी घटना नहीं हुई। चुनाव में एक बुजुर्ग महिला का वोट डालने के बाद यह कहना अत्यंत महत्वपूर्ण लगा कि लल्ला इस बार चुनाव परिणाम आश्चर्यजनक होंगे।
इस सबके बावजूद पहली बार वोट डालने का मौका मिलने वाले युवा और वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में शामिल हुए मतदाताओं में भारी जोश था। उन्होंने वोट किसे दी यह बताने को वो तैयार नहीं थे।
अक्षिता ऑस्ट्रेलिया से वोट डालने आई
मतदान के प्रति युवाओं के उत्साह का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि शीलकुंज निवासी भाजपा नेता और कैंट बोर्ड की पूर्व उपाध्यक्ष शिप्रा रस्तौगी व सुधीर रस्तौगी की बेटी अक्षिता विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया से वोट डालने मेरठ आई और अपने मत का प्रयोग करने के बाद वो काफी उत्साहित नजर आ रही थी। चुनाव में कोई भी हारे जीते मतदाता को जो फैसला करना था वो उसने कर दिया। कई महत्वपूर्ण उम्मीदवारों की किस्मत अब ईवीएम में कैद हो चुकी है। जिसका फैसला चार जून को होगा कि ईवीएम से निकली संख्या किसे विजय का सेहरा पहनाती है और किसे अगले पांच साल के लिए संघर्ष कर अपने कार्यक्षेत्र को मजबूत करने का मौका देती है। पूरे चुनावी गतिविधियों से जो संबंध जो समाचार पढ़ने सुनने को मिले और नागरिकों ने जो खबरें दी उसे देखकर यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि जिला निर्वाचन अधिकारी दीपक मीणा और एसएसपी रोहित सिंह सजवाण सीडीओ नुपूर गोयल, एडीएम सिटी ब्रजेश सिंह एडीएम ई बलराम सिंह, सिटी मजिस्टेªट अनिल कुमार जिला टेªजरी अधिकारी वरूण खरे जिला सूचना अधिकारी सुमित कुमार आदि के सहयोग से पारदर्शी वातावरण में बिना किसी आरोप प्रत्यारोप के चुनाव कराने में सफल रहे। कुछ लोगों का कहना था कि दीपक मीणा सबकी बात सुनने और उनका निस्तारण कराने वाले अफसरों में शुमार है इसलिए वो नांमाकन से लेकर प्रचार तक की अवधि को बिना किसी परेशानी के कराने में सफल रहे।
लला चुनाव परिणाम तो चौंकाने वाले ही होंगे! साईकिल दौड़ी या खिला कमल या दौड़़ा हाथी, जो भी हो प्रशासन और पुलिस पारदर्शी वातावरण में मतदान कराने में रहे सफल, नागरिक दीपक मीणा व रोहित सिंह सजवाण को दे रहे हैं श्रेय
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