asd चिकित्सकों की हड़ताल से लाखों मरीज परेशान, डॉक्टर विरोध का रचनात्मक तरीका अपनाएं

चिकित्सकों की हड़ताल से लाखों मरीज परेशान, डॉक्टर विरोध का रचनात्मक तरीका अपनाएं

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कोलकाता के एक अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की सारे देश में निंदा हो रही है और नागरिक दोषी को सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए जिम्मेदारों का ध्यान आकर्षित करने के लिए जगह जगह श्रद्धांजलि सभा कैंडिल मार्च और विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। दिल्ली के निर्भया कांड के बाद इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन पहली बार होता नजर आ रहा है। और जहां तक महसूस हो रहा है ऐसी घटनाओं को रोकने और गंदी सोच वालों को जेल भेजने की मांग के बावजूद कोलकाता की घटना के बाद भी एक खबर से पता चलता है कि बिहार में एक ऐसी ही दरिंगदी पूर्ण घटना हो चुकी और यूपी के मेरठ में बीते दिवस एक युवक द्वारा दो साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। ऐसी घटनाओं की पृनरावृति ना हो इसके लिए विरोध प्रदर्शन जरूरी है।
लेकिन यह भी साफ दिखाई दे रहा है कि निर्भया कांड के बाद बने कानूनों के बाद ऐसी घटनाओं में कोई ज्यादा कमी नजर नहीं आती है मगर यह सोचकर कि घटनाएं नहीं रूक रही है हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठा जा सकता इसलिए व्यापारी और डॉक्टरों द्वारा जो विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है वो उचित है। सारा देश दुखी परिवार के साथ इस मामले में खड़ा है।
लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि घटना कोलकाता की हो या मेरठ की उसमें आम आदमी का तो कसूर नहीं तो फिर इलाज ना देकर उन्हें किस बात की सजा दी जा रही है। मेरा मानना है कि डॉक्टर बिटिया के परिवार को न्याय मिले और दोषियों को सजा। इसमें कोई कोताही ना हो मगर पूरे देश में जो दो दिवसीय हड़ताल की उससे स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई। डॉक्टर विरोध में सड़कों पर उतरे और बीमार परेशान हाल घूमते दिखाई दिए। हमारे चिकित्सकों को यह भी सोचना होगा कि उन्हें किस अपराध की सजा इस गर्मी के माहौल में मिल रही है। सरकार ने भी डॉक्टरों से हड़ताल वापसी का आग्रह किया लेकिन हड़ताली चिकित्सकों पर इसका असर नहीं पड़ा क्योंकि आज भी पूरे देश में डॉक्टर हड़ताल पर रहे। इनमें प्राइवेट नर्सिग होम के डॉक्टर भी शामिल हो गए। इससे इमरजेंसी में आने वाली स्वास्थ्य सेवाएं देशभर में प्रभावित हुई। जो किसी भी रूप में सही नहीं कहा जा सकता। भगवान के बाद दूसरे नंबर पर मानव जीवन में दखल रखने वाले डॉक्टर और उनके संगठनों के पदाधिकारियों से आग्रह है कि किसी बात का विरोध करना हो तो जनता उनके साथ है। वो खुद भी काली पटटी बांधकर विरोध कर सकते हैं या कुछ देशों में विरोध करने के लिए काम ज्यादा करने की व्यवस्था है उसे अपनाकर 48 घंटे डॉक्टर अपना कार्य कर सरकार से विरोध प्रदर्शित कर सकते थे। लेकिन ऐसी हड़तालें ठीक नहीं है क्योंकि आम आदमी भी जब परेशान होता है तो उसके लिए दोषियों के खिलाफ सड़कों पर उतर सकता है। वो स्थिति किसी के लिए सही नहीं कह सकते। दरिंदगी का शिकार हुई डॉक्टर के प्रति हर व्यक्ति की संवेदनाएं उसके परिवार के साथ है। काम बंद करने से ना तो किसी को न्याय मिलने वाला है और ना ही कोई हल निकलता है। विरोध प्रदर्शन के रचनात्मक तरीके अपनाएं जाऐ तो वो जनहित में होंगे।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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