Date: 22/11/2024, Time:

निजी संपत्ति व मदरसा बोर्ड कामिल और फाजिल के फैसले को ध्यान में रखते हुए यूपी सरकार तैयार करे योजना

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हर निजी संपत्ति भौतिक संसाधन नहीं, 45 साल पहले दिया गया अपना ही फैसला कोर्ट ने बदला। यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट अब संवैधानिक घोषित हुआ। जिससे यूपी के 16 हजार मदरसों के लगभग 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत मिली मगर कामिल और फाजिल जैसी डिग्रियों को मान्यता देने के लिए मांग भी मदरसा संचालकों व मुस्लिम विद्वानों द्वारा की जाने लगी है। अगर इन डिग्रियों को मान्यता नहीं मिलती है तो काफी बड़ी संख्या में इसकी पढ़ाई कर रहे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होने की बात जोरशोर से की जा रही है। सत्ता के सहयोगी और विपक्ष से जुड़े कुछ नेताओं द्वारा मदरसे से संबंध अदालत के फैसले को सही बताया जा रहा है। मदरसों की इस डिग्री को सरकार मान्यता देगी या नहीं और देगी तो किन शर्तों पर यह बात आजकल चर्चा का विषय बनी है। यह पक्का है कि फिलहाल जो फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया है उसकी सराहना और सम्मान सभी कर रहे है। मुस्लिम विद्वानों ने भी इस फैसले को उचित बताया है। कहा जा रहा है कि मदरसों को विवि से मान्यता मिले तो कामिल फाजिल का पेंच होगा खत्म। कुछ मुस्लिम नेताओं का मानना है कि मदरसों पर मंडरा रहा खतरा हमेशा के लिए खत्म हो गया है। अब तो इन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। कुछ का मानना है ब्रिज कोर्स कामिल और फाजिल की डिग्री पर आए संकट पर सहारा बन सकता है। मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ध्यान में रखते हुए यूपी सरकार को हर परिस्थिति व नियम कानूनों की समीक्षा कर कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जो इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके। भविष्य में इसे लेकर वाद विवाद ना हो। इस दौरान जो यह फैसला दिया गया कि निजी स्वामित्व वाले संसाधन का अधिग्रहण नहीं कर सकती सरकार जैसे बिंदु को भी सरकार को ध्यान में रखना होगा। फिलहाल तो भाईचारा मजबूत हो और संघ परिवार द्वारा सबको एक साथ लाने की जो कोशिश हो रही है उसे ध्यान में रखकर भी निर्णय होना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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