हल्द्वानी 19 अप्रैल। कैलाश मानसरोवर यात्रा अब पहले से कहीं अधिक सरल और तेज होने जा रही है। इस वर्ष से यात्रा दो हफ्तों से भी कम समय में पूरी की जा सकेगी, जबकि पहले इसमें लगभग 24 दिन का समय लग जाता था।
यह बदलाव तवाघाट से लिपुलेख तक बनी सीधी सड़क के कारण संभव हो सका है। इससे यात्रा मार्ग में सात पड़ाव कम हो जाएंगे। कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने यात्रा की तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं। अब अंतिम निर्णय 21 अप्रैल को दिल्ली में होने वाली उच्चस्तरीय बैठक में लिया जाएगा। कोरोना से पहले कैलाश यात्री अपने आधार शिविर धारचूला से 95 किमी पैदल चलकर धारचूला पहुंचते थे। इस बीच सात पड़ाव आते थे जिन्हें पार करने में पांच से छह दिन का समय लगता था। अब लिपुलेख तक सीधी सड़क बनने से पैदल दूरी और सात पड़ावों से मुक्ति मिलने जा रही है।
केएमवीएन के अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली में होने वाली उच्चस्तरीय बैठक में यात्रा की अवधि और तारीख को लेकर मुहर लगेगी। संभावना जताई जा रही है कि यात्रा जून से शुरू हो सकती है। निगम के अनुसार, नई व्यवस्था से यात्रा में समय की बचत, खर्च में कमी आने के साथ यात्रियों की सुरक्षा में बढ़ोत्तरी होगी। इस बार यात्रा का पहला पड़ाव टनकपुर होगा। सबसे राहत की बात यह है कि यात्री एक ही दिन में धारचूला से तवाघाट के बाद लिपुलेख दर्रे से 30 किमी पहले गुंजी तक पहुंच सकेंगे। पहले यात्री दिल्ली से हल्द्वानी, तवाघाट तक वाहन से आते थे।
कोरोना महामारी के बाद शुरू यात्रा होगी
2019 में कोरोना काल के बाद यह यात्रा शुरू नहीं हो पाई थी। इस साल से भारत-चीन के बीच पिथौरागढ़ के रास्ते मानसरोवर यात्रा शुरू कराने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। मानसरोवर यात्रा के इतिहास में पहली बार पांच साल के बाद यात्रा शुरू हो रही है।
पहले 22 से 24 दिन लगते थे
पूर्व में यात्री पहले दिन दिल्ली से हल्द्वानी होते हुए धारचूला तक वाहन से पहुंचते थे। इसके बाद पांच से छह दिन पैदल चलकर गुंजी पहुंचते थे। उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के कारण गुंजी में एक दिन विश्राम करना पड़ता था। यात्री आठवें दिन नौ किमी पैदल चलकर कालापानी और नौवें दिन नाभीढांग पहुंचते थे। लिपुलेख दर्रे को पार कर चीन में प्रवेश करते थे। दस से 11वें दिन कैलाश मानसरोवर पहुंचते थे। इस तरह आवाजाही में करीब 22 से 24 दिन का समय लगता था।
यह बदलाव तवाघाट से लिपुलेख तक बनी सीधी सड़क के कारण संभव हो सका, कैलाश यात्री अपने आधार शिविर धारचूला से 95 किमी पैदल चलकर धारचूला पहुंचते थे.
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये दस्तावेज : कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए यात्रा परमिट की आवश्यकता होती है. साथ ही चीनी वीजा और तिब्बत यात्रा परमिट, बल्कि अन्य यात्रा दस्तावेज, जैसे एलाइन की यात्रा परमिट, विदेशी मामलों का परमिट और सैन्य परमिट के अलावा सभी पहचान एवं नागरिकता सम्बन्धी कागजात आवश्यक हैं.