नई दिल्ली 27 जनवरी। विपक्षी पार्टियों की कड़ी आपत्तियों के बावजूद संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने वक्फ संशोधक विधेयक को मंजूरी दे दी। अब इस विधेयक में 14 बदलाव किए जाएंगे। जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने कहा कि बहुमत के आधार पर संशोधनों को स्वीकार किया गया, जिसमें 16 सदस्यों ने बदलावों का समर्थन किया और 10 सदस्यों ने इसका विरोध किया।
वक्फ संशोधन बिल पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक हुई, जिसमें जमकर बवाल हुआ। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने हंगामा किया। इस मीटिंग में जहां सत्ता पक्ष के 14 संशोधन को पारित किया गया तो वहीं विपक्ष के सभी संशोधन को अस्वीकार किया गया। विपक्ष ने 44 संशोधन पेश किए थे। अब जेपीसी की अगली बैठक 29 जनवरी को होगी।
संशोधनों का अध्ययन करने के लिए गठित समिति की कई बैठकें हुईं, लेकिन कई बैठकें हंगामे के बीच खत्म हो गईं। विपक्षी सांसदों ने अध्यक्ष पर सत्ताधारी पार्टी के प्रति पक्षपात का आरोप लगाया। पिछले हफ्ते विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जगदंबिका पाल 5 फरवरी के दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक को जल्दबाजी में पारित कराने की कोशिश कर रहे हैं।
यह अपील 10 विपक्षी सांसदों के निलंबन के बाद आई। उनकी और उनके सहयोगियों की शिकायत थी कि उन्हें सुझाए गए बदलावों का अध्ययन करने का समय नहीं दिया जा रहा है। निलंबित सांसदों में तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी शामिल थे। दोनों ही वक्फ संशोधन विधेयक के कट्टर आलोचक हैं। उदाहरण के लिए, अक्टूबर में बनर्जी का रौद्र रूप देखने को मिला, जब उन्होंने मेज पर एक कांच की बोतल तोड़ दी और उसे पाल पर फेंक दिया। बाद में उन्होंने अपने कृत्य के बारे में बताया कि एक अन्य बीजेपी सांसद, कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने उनके परिवार के बारे में अपशब्द कहे और इसी से उन्हें इतना गुस्सा आया।
JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बैठक के बाद कहा कि समिति द्वारा अपनाए गए संशोधन कानून को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएंगे। हालांकि, विपक्षी सांसदों ने बैठक की कार्यवाही की निंदा की और पाल पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट करने का आरोप लगाया।
TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि बैठकों का यह दौर हास्यास्पद था। हमारी बात नहीं सुनी गई। पाल ने तानाशाही तरीके से काम किया है। इस पर जगदंबिका पाल ने कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी और बहुमत की राय को प्राथमिकता दी गई।
संशोधन विधेयक में कई प्रस्ताव
वक्फ संशोधन विधेयक वक्फ बोर्डों के प्रशासन के तरीके में कई बदलावों का प्रस्ताव करता है, जिसमें गैर-मुस्लिम और (कम से कम दो) महिला सदस्यों को नामित करना शामिल है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में (यदि संशोधन पारित हो जाते हैं) एक केंद्रीय मंत्री और तीन सांसद, साथ ही दो पूर्व न्यायाधीश, चार ‘राष्ट्रीय ख्याति’ वाले लोग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होने चाहिए, जिनमें से किसी का भी इस्लामी धर्म से होना आवश्यक नहीं है। इसके अलावा, नए नियमों के तहत वक्फ परिषद भूमि पर दावा नहीं कर सकती।
अन्य प्रस्तावित बदलावों में उन मुसलमानों से दान सीमित करना है जो कम से कम पांच साल से अपना धर्म मान रहे हैं एक प्रावधान जिसने ‘अभ्यास करने वाले मुस्लिम’ शब्द को लेकर विवाद खड़ा कर दिया । इसका उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाना है, जिन्हें पुराने कानून के तहत ‘कष्ट’ उठाना पड़ा।