बागपत 10 जून। नरेन्द्र मोदी को तीसरे पर प्रधानमंत्री की शपथ लेने और राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयन्त चौधरी के केंद्रीय राज्य मंत्री बनाए जाने पर जश्न मनाया गया। रालोद कार्यकर्ताओं ने जहां नगर में लड्डू बांटे और डीजे व ढोल की थाप न डांस किया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने खूब आतिशबाजी करते हुए इस खुशियां मनाई।
अपने अस्तित्व के लिए लड़ने वाली रालोद की कहानी फर्श से अर्श तक पहुंचने वाली हो गई है। जहां दो साल पहले तक रालोद का एक विधायक तक नहीं था। वहीं अब वह चारों सदन तक पहुंच गया है और राज्य व केंद्र में मंत्री की कुर्सी भी मिल गई है। इस तरह पार्टी को मजबूती मिलती दिख रही है।
रालोद के टिकट पर वर्ष 2017 में छपरौली से चुनाव लड़कर सहेंद्र सिंह रमाला ही अकेले विधायक बने थे। मगर वह भी करीब एक साल बाद भाजपा के साथ चले गए। इस तरह रालोद के पास न कोई विधायक और न कोई सांसद रहा। पार्टी को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ी और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में आठ विधायकों ने जीत दर्ज की। तब केवल एक सदन विधानसभा तक ही रालोद पहुंच सका, मगर उसके कुछ दिन बाद ही रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह राज्यसभा में पहुंच गए तो रालोद दो सदनों तक पहुंची।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के साथ गठबंधन करने पर जहां रालोद के पुरकाजी से विधायक अनिल कुमार को राज्य में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। वहीं मथुरा के योगेश चौधरी को एमएलसी बनाया गया।
अब रालोद के डा. राजकुमार सांगवान व चंदन चौहान जीतकर लोकसभा में पहुंचे हैं। यह सब कुछ होने के बाद अब रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह केंद्र में मंत्री बनाए गए हैं। इस तरह रालोद ने ऐसा करके कई बड़ी पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है, जो चारों सदनों में उपस्थिति दर्ज कराने के साथ ही राज्य व केंद्र में मंत्री पद संभाले हुए है। जिस तरह से दो साल के अंदर रालोद सभी सदन तक पहुंच गई और राज्य व केंद्र में मंत्री की कुर्सी भी मिल गई। इसको देखकर साफ कहा जा सकता है कि रालोद की पकड़ मजबूत होती दिख रही है।
बताते चले कि चार जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी को 33, आरएलडी को दो और अपना दल (एस) को एक सीट पर विजय मिली है.उत्तर प्रदेश से जिन लोगों को मंत्री बनाया गया है, उनमें से दो राज्यसभा सांसद हैं.जिन लोगों को कैबिनेट में जगह मिली है, उनमें से जितिन प्रसाद,कीर्तिवर्धन सिंह, कमलेश पासवान और जयंत चौधरी को छोड़कर बाकी नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में भी मंत्री थे.
मोदी की तीसरी कैबिनेट में जिन नेताओं को जगह दी गई है, अगर उसके जातिय संतुलन की बात करें तो इनमें चार ओबीसी, तीन सवर्ण (एक ब्राह्मण और दो राजपूत) और दो दलित हैं. वहीं अगर क्षेत्रवार बात की जाए तो पश्चिम यूपी से सबसे ज्यादा चार,पूर्वांचल से तीन और अवध से दो नाम शामिल हैं.