asd जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को मिली दिल्ली के एलजी जैसी पावर, केंद्र सरकार का बड़ा फैसला

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को मिली दिल्ली के एलजी जैसी पावर, केंद्र सरकार का बड़ा फैसला

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नई दिल्ली 13 जुलाई। जम्मू-कश्मीर में अब उपराज्यपाल की शक्तियां और ज्यादा बढ़ गई हैं। उन्हें अब दिल्ली के उपराज्यपाल जैसी शक्तियां दी गई हैं। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन किया। इस संशोधन के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल दिल्ली के एलजी की तरह अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग जैसे फैसले कर पाएंगे।

एलजी को क्या-क्या मिलेगी पावर
गृहमंत्रालय के फैसले के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की प्रशासनिक भूमिका का दायरे बढ़ जाएगा। इस संशोधन के बाद उपराज्यपाल को अब पुलिस, कानून व्यवस्था, एआईएस से जुड़े मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे। पहले, एआईएस से जुड़े मामलों (जिनमें वित्त विभाग की सहमति जरूरी होती थी) और उनके तबादलों और नियुक्तियों के लिए वित्त विभाग की मंजूरी जरूरी थी। लेकिन अब उपराज्यपाल को इन मामलों में भी ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। इसके अलावा अब महाधिवक्ता, कानून अधिकारियों की नियुक्ति और मुकदमा चलाने की अनुमति देने या इनकार करने या अपील दायर करने से संबंधित प्रस्ताव पहले उपराज्यपाल के सामने रखे जाएंगे।

गृहमंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया। इसमें उपराज्यपाल की भूमिका को परिभाषित करने वाले नए खंड जोड़े गए हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि कानून के तहत उपराज्यपाल के विवेक का इस्तेमाल करने के लिए पुलिस, कानून व्यवस्था, एआईएस और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी ) से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता नहीं होगी, बशर्ते कि प्रस्ताव को मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा गया हो।

बता दें कि मनोज सिन्हा अगस्त 2020 से जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल हैं। 5 अगस्त 2019 को, जम्मू और कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को खत्म कर दिया गया था और पूर्व राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था, जिसमें लद्दाख में विधानसभा नहीं है। जून 2018 से जम्मू और कश्मीर केंद्र सरकार के शासन के अधीन है। सरकार ने कहा है कि विधानसभा चुनाव होने के बाद राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 से पहले जम्मू और कश्मीर विधानसभा के लिए चुनाव कराने का आदेश दिया है।

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