asd अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष पद तक अपने दम पर पहुंचे जय शाह इस क्षेत्र में सक्रिय लोगों के खर्चों पर अंकुश लगाने का भी करें प्रयास

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष पद तक अपने दम पर पहुंचे जय शाह इस क्षेत्र में सक्रिय लोगों के खर्चों पर अंकुश लगाने का भी करें प्रयास

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बीसीसीआई के मौजूदा सचिव जय शाह को कुछ लोगों द्वारा यह कहकर विवादों में घसीटने की कोशिश की जाती है कि वो देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे हैं इसलिए कई मामलों में उन्हें इस पहचान की सपोर्ट मिल जाती है। इस बारे में मेरा कहना है कि अगर ऐसा भी है तो उसमें गलत क्या है। क्योंकि जब कोई समस्या परिवार में आती है तो बाप बेटे एक दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। तो फिर जब कुछ मिलने या नाम कमाने का मौका हो तो घरवालों का ध्यान क्यों ना रखा जाए। 2010 में एक मामले में जब अमित शाह कुछ परेशान थे तो जय शाह अदालत में हो रही जिरह के दौरान लगातार हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे तो फिर उन्हें पिता के नाम का फायदा तो मिलना ही चाहिए। उन्हें ही नहीं सबके साथ ऐसा ही होता है। अब एक दिसंबर 2024 को वो आईसीसी का निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने के बाद विधिवत रूप से इस पद का कार्य संभालेंगे और इस पद पर पहुंचने वाले पांचवे भारतीय हो जाएंगे। बताते चलंे कि 22 सितंबर 1988 को जन्मे जय शाह के पिता अमित शाह और मां सोनल शाह है। उन्होंने कॉलेज फ्रेंड रिशिता पटेल से फरवरी 2015 में शादी की उनके दो बेटियां भी है जो इस का प्रतीक है कि जय शाह सुखी परिवार के मुखिया है। अब तक उनके द्वारा जो तरक्की की गई हो सकता है उसमें उनके पिता का भी आशीर्वाद रहा हो जैसा हर पिता का अपने बच्चों पर रहता है। जय शाह के क्रिकेट के प्रशासनिक करियर की शुरूआत 2009 में हुई। वो इस क्षेत्र के प्रमुख पदों पर रह चुके हैं और सफलता से अपने पद का निर्वहन भी कर चुके हैं। क्रिकेट के अलावा जय शाह परिवार के बिजनेस को भी आगे बढ़ा रहे हैं। उनके व्यापार की नेटवर्थ 124 करोड़ रूपये बताई जाती है। वो भगवान हनुमान के बड़े भक्त है। जब भी कोई परेशानी होती है तो वो हनुमान चालीसा का पाठ करने लगते है। कम समय में व्यापार और क्रिकेट की प्रशासनिक व्यवस्थाओं में अपनी सूझबूझ से शीर्ष तक पहुंचे जय शाह के बारे में पढ़कर लगा कि वो धार्मिक विचारों के साथ मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हैं। मेरा मानना है कि देश की आर्थिक व्यवस्था और सरकार द्वारा की गई घोषणााओं को पूरा करने में जो समस्याएं आती हैं उसे ध्यान में रखते हुए क्रिकेट से जुड़े समस्त प्रशासनिक अधिकारियों के खर्चाे और वेतन में कटौती कराने का भी जय शाह सोचे तो वो जनता के लिए उनका एक बड़ा उपहार और सरकार के लिए समस्या का समाधान भी हो सकता है।
एक समाचार से मिली जानकारी अनुसार जय के क्रिकेट के प्रशासनिक करियर की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई, जब वह अहमदाबाद केंद्रीय क्रिकेट बोर्ड के कार्यकारी सदस्य बने। वर्ष 2013 में जय गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन (जीसीए) के संयुक्त सचिव चुने गए। 2015 में बीसीसीआई की वित्त और मार्केटिंग कमेटी के सदस्य बने, तो सितंबर 2019 में बीसीसीआई सचिव चुने गए। 2021 और 2024 में एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 2022 में आईसीसी की वित्त और वाणिज्य मामलों की समिति के प्रमुख चुने गए और अब आईसीसी के सर्वेसर्वा होंगे।
कोविड में आईपीएल
शाह को 2020 और 2021 के दौरान वास्तव में चुनौतीपूर्ण दौर से गुजरना पड़ा, जब कोरोना वायरस ने दुनिया को हिलाकर रख दिया और सब कुछ ठप पड़ गया था। उन वर्षों में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की अपेक्षाकृत सहज तरीके से मेजबानी करना एक सराहनीय काम था। उनके ही मार्गदर्शन में आईपीएल के दौरान बायो बबल की व्यवस्था की गई, जिसके भीतर मेडिकल टीमें बनाकर सकारात्मक ढंग से कोविड में भी क्रिकेट को थमने नहीं दिया।
देवायर वेबसाइट ने अक्टूबर 2017 में एक लेख जय शाह पर आरोप लगाते हुए प्रसारित किया था। मैं ना तो तब उससे सहमत था और ना आज हूं क्येांकि यह कहीं नहीं लिखा कि किसी बड़े परिवार को कोई बच्चा अपने दम पर तरक्की नहीं कर सकता। उनके द्वारा आरोप लगाने वाले के खिलाफ 100 करोड़ की मानहानि का मुकदमा भी किया गया था। यह जरूर कहा जा सकता है कि एशियाई क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के नवनिर्वाचित अध्यक्ष जय शाह ने जो तरक्की कायम पर क्रिकेट के शीर्ष प्रशासनिक पद तक पहुंचने में भले ही किसी का आशीर्वाद हो लेकिन बिना अपने प्रयासों के दम पर शिखर तक पहुंचना किसी के लिए संभव नहीं है इसलिए जय शाह के संदर्भ में गलत प्रचार करना अब लोगों को बंद कर देना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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