मैं यह तो नहीं कहता कि सभी स्कूलों में शिक्षक शिक्षिकाएं पढ़ने वाले बच्चों के हित में ही काम करते हैं। मगर जिस प्रकार से आजकल मीडिया में बच्चों से स्कूल में काम कराने टीचरों द्वारा अपने शिष्यों के साथ डांस करने आदि की फोटो और वीडियो प्रकाशित होती हैं तथा इन्हें देखकर अपनी गलतियों को छिपाने में लगे शिक्षा विभाग के अधिकारी जांच बैठा देते हैं मुझे लगता है सही नहीं है। स्मरण रहे कि अभी सरूरपुर के भूनी स्थित कस्तूरबा गांधी प्राथमिक विद्यालय और जनपद में ऐसे ही कुछ शिक्षा संस्थानों को लेकर शिक्षा अधिकारी जो जवाब मांगा गया था वो तो शायद उन्होंने नहीं दिया है मगर कृष्णपुरी प्राथमिक विद्यालय के स्कूल में एक शिक्षामित्र टेªनिंग के लिए आई लड़कियों के साथ डांस कर रही है तो दूसरी ओर छात्रा से सफाई कराने की वायरल हुई वीडियो की खंड शिक्षा अधिकारी नगर क्षेत्र जयप्रकाश सिंह द्वारा जांच बैठा दी गई। कहा जा रहा है कि रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
सवाल उठता है कि हम हर मामले में दोहरी नीति क्यों अपना रहे हैं। एक तरफ तो हम बच्चियों को स्वावलंबी स्वस्थ और हुनरमंद बनाने के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं जिसके लिए स्कूलों में नृत्य प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। समारोह में बच्चों के नृत्य कराए जाते हैं। तो वाह वाही होती है लेकिन अगर प्रशिक्षु शिक्षामित्र के साथ नृत्य कर रही हैं तो उस पर सवाल उठाकर वीडियो वायरल किए जा रहे हैं। आखिर बच्चियों को डांस नहीं सिखाया जाएगा तो वो प्रस्तुति स्कूल समारोह में देती है वो कैसे देगी और विभिन्न कार्यक्रमों में बच्चियों के कार्यक्रम प्रस्तृत कराए जाते हैं वो कैसे होगे अगर उन्हें सिखाया ही नही ंजाएगा। दूसरी तरफ इसी स्कूल का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें बच्ची से झाडू लगवाने की बात कही जा रही है। स्मरण रहे कि पुराने समय में और आज भी शारीरिक स्वास्थ्य और व्यायाम और स्वच्छता कायम करने का संदेश बच्चों को देने और उसमें वो रूचि लें इसके लिए जरूरी है कि छात्रों को सफाई का ज्ञान और इसमें उनकी रूचि जगाने हेतु यह जरूरी है। वैसे भी जनप्रतिनिधि अधिकारी और शिक्षा विभाग के अधिकारी यह कहते नहीं थकते कि अपने आसपास स्वच्छता का माहौल बीमारियों से बचने के लिए रखा जाए। स्कूल में गंदगी दिखने पर छात्रा सफाई करती है तो उसे गलत कैसे कहा जा सकता है। जहां तक जांच शुरू करने की बात है उसका औचित्य तब तक नहीं है जब तक स्कूल की छात्राएं लिखित में अधिकारियों से शिकायत ना करें कि उनसे जबरदस्ती सफाई कराई जाती है या डांस कराया जाता है।
मेरा मानना है कि हर स्कूल में शुरू से ही जिस प्रकार हेल्थ टीचर व्यायाम कराते हैं उसी प्रकार हर स्कूल में एक घंटा नृत्य और संगीत की शिक्षा देने का हो। एक घंटा स्वच्छता कायम करने के लिए बच्चों को प्रेरित करने के लिए शिक्षा दी जाए। जिससे हमारे बच्चे भविष्य में अपने अपने क्षेत्र में स्कूल परिवार और समाज का नाम रोशन करने के साथ जीवन यापन सही प्रकार से कर सके। इन बातों की हमारी सांस्कृतिक शिक्षा देने वाली शिक्षिकाओं का सम्मान भी किया जाए और छात्रों को प्रोत्साहित जिससे उनका मनोबल बढ़ सके।
इस प्रकार की खबरों को वायरल करने वालों को शायद यह ज्ञान नहीं है कि पूर्व में स्कूलों में स्वच्छता के प्रति रूचि जगाने के लिए स्कूलों में सफाई अभियान चलवाया जाता था। नृत्य भी सभी स्कूलों में सिखाया जाता था क्योंकि इससे स्वास्थ्य तो सही रहता ही है वर्तमान में जो कंधे और घुटनों में जाम की शिकायत होती है उससे बचने के लिए नृत्य की शिक्षा जरूरी है। मैं कोई संदेश या आदेश तो नहीं दे सकता लेकिन यह आग्रह जरूर कर सकता हूं कि हर बात की जांच बैठाने के मुकाबले शिक्षा नीति के तहत जो जिम्मेदारियां उन्हें सौंपी गई है उनका पालन करे तो ज्यादा अच्छा है। कुछ लोगों का यह कहना सही प्रतीत होता है कि अपनी कमियों की ओर से ध्यान हटाने के लिए इस प्रकार की जांच ना बच्चों के हित में है ना समाज के । समय की बर्बादी जरूर है जिसमें बच्चो की शिक्षा के लिए अभियान चलाए जा सकते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
शिक्षा अधिकारी अपने काम को जिम्मेदारी से करें तो अच्छा है! स्कूल में शिक्षामित्र के डांस और छात्रा के सफाई करने पर जांच और विवाद क्यों
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