हमारे जनप्रतिनिधि सांसद हो या विधायक या किसी ऐसे पद पर जिसमें वेतन मिलता हो। उनके काम नागरिकों से संपर्क और क्षेत्र के दौरे को ध्यान में रखते हुए उनके वेतन भत्तों में बढ़ोत्तरी गलत नहीं कही जा सकती। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि हमारे नागरिकों की समस्याओं पर ध्यान रख दी जाने वाली बुजुर्ग और विधवा पेंशन और इलाज के लिए हम कितनी सहायता दे रहे हैं और उससे हमारे लोगों का कितना भला हो सकता है। सरकार जो सहायता देती है उससे दो समय की चाय भी नागरिक नहीं पी सकते । दूसरे खर्च कटौती और आर्थिक व्यवस्थाएं सुधारने के नाम पर जो पत्रकारों की मुफत रेल यात्रा बंद की गई है उस और भी सरकारों को ध्यान देना चाहिए क्योंकि जनहित की सोच रखने वाले पत्रकारों को इतनी तनख्वाह भी नहीं मिलती है कि वो अपने परिवार का पालन पोषण कर सके। ऐेसें में खर्च कम करने के नाम पर उनसे यात्रा की सुविधा भी छिन लेना और पेंशन में बढ़ोत्तरी ना करना ठीक नहीं कहा जा सकता। मेरा मानना है कि जिस प्रकार अपने वेतन और सुविधाओं के मामले में जनप्रतिनिधि एकमत हो जाते हैं उस प्रकार उन्हें नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं मेें बढ़ोतरी का भी ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि जनता खुशहाल रहेगी तो ही लंबे समय तक हमारे नेता पदों पर रहते हुए सेवा कर सकते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
उचित है सांसदों की वेतन बढ़ोत्तरी, मतदाताओं को मिलने वाली पेंशन और पत्रकारों की रेलयात्रा और सुविधाओं पर जनप्रतिनिधियों को देना होगा ध्यान
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