नई दिल्ली 22 अप्रैल। सोशल मीडिया का इस्तेमाल आज हर उम्र के लोग कर रहे हैं. लेकिन Instagram पर बच्चें और टीन्स यूजर तेजी से बढ़ रहे हैं. कई बार बच्चे अपनी असली उम्र छिपाकर Instagram पर अडल्ट बनने की कोशिश करते हैं. ताकि वे कुछ ऐसे कंटेंट या फीचर्स एक्सेस कर सकें जो सिर्फ बड़ों के लिए होते हैं. अब इंस्टाग्राम ने इस समस्या को सुलझाने के लिए AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद लेनी शुरू कर दी है. इंस्टाग्राम की पेरेंट कंपनी Meta ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी।
Meta का कहना है कि वह पहले से ही एआई तकनीक का उपयोग करके यूजर्स की उम्र का अंदाजा लगाता रहा है, लेकिन अब फोटो और वीडियो शेयरिंग एप इंस्टाग्राम ने “प्रोएक्टिव” यानी सक्रिय रूप से ऐसे अकाउंट्स को तलाशना शुरू कर दिया है जो झूठी जन्मतिथि देकर अपने असली उम्र को छुपाते हैं।
अगर पकड़ में आया झूठ, तो अकाउंट बनेगा टीन अकाउंट
अगर एआई यह तय करता है कि कोई यूजर अपनी असली उम्र छुपा रहा है और वह वास्तव में किशोर है, तो इंस्टाग्राम उसका अकाउंट ऑटोमैटिकली “टीन अकाउंट” में बदल देगा। टीन अकाउंट्स में वयस्क अकाउंट्स की तुलना में ज्यादा पाबंदियां होती हैं।
जैसे कि: टीन अकाउंट्स डिफॉल्ट रूप से प्राइवेट होंगे। बच्चे सिर्फ उन्हीं लोगों से मैसेज पा सकेंगे जिनसे वे पहले से जुड़े हैं या जिन्हें फॉलो करते हैं। “सेंसिटिव कंटेंट” जैसे कि लड़ाई-झगड़े के वीडियो या कॉस्मेटिक सर्जरी को बढ़ावा देने वाली सामग्री पर भी रोक लगाई जाएगी।
60 मिनट के बाद मिलेगा नोटिफिकेशन और रात में ‘स्लीप मोड’
Meta ने यह भी कहा कि यदि कोई किशोर 60 मिनट से ज्यादा इंस्टाग्राम पर सक्रिय रहता है, तो उसे एक नोटिफिकेशन के जरिए ब्रेक लेने की सलाह दी जाएगी। साथ ही रात 10 बजे से सुबह 7 बजे तक “स्लीप मोड” एक्टिव रहेगा, जिसमें न तो नोटिफिकेशन मिलेंगे और न ही मैसेज अलर्ट्स। इसके साथ ही ऑटो-रिप्लाई फीचर भी ऑन हो जाएगा।
टीनेज अकाउंट क्या होता है?
टीनेज अकाउंट बाइ डिफॉल्ट प्राइवेट होता है. इसका मतलब उनकी प्रोफाइल और पोस्ट सबको नहीं दिखती. इसके अलावा, प्राइवेट मैसेज (DM) पर भी लिमिट सेट होती है. टीनेज यूजर को सिर्फ वही लोग मैसेज भेज सकते हैं, जिन्हें वे पहले से फॉलो करते हैं या जिनसे पहले से जुड़े हुए हैं.
Instagram पर दिखने वाला सेंसटिव कंटेंट जैसे झगड़े की वीडियो या कॉस्मेटिक सर्जरी को बढ़ावा देने वाले पोस्ट भी कम दिखाए जाएंगे.
Meta-सोशल मीडिया कंपनियों की ऐप्स स्टोर्स से डिमांड
Meta और दूसरी सोशल मीडिया कंपनियां चाहती हैं कि ऐप स्टोर उम्र वेरिफाई करने की जिम्मेदारी लें. कंपनियों का कहना है कि उम्र वेरिफाई करना ऐप स्टोर्स की जिम्मेदारी होनी चाहिए, ताकि ये तय किया जा सके कि बच्चे उनके ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं.
ये बात तब कही गई है जब सोशल मीडिया कंपनियों पर ये आरोप लग रहा है कि वे बच्चों की सेफ्टी के लिए पॉसिबल कदम नहीं उठा रही हैं. कंपनियां ये भी ठीक से नहीं देख रहीं कि 13 साल से कम उम्र के बच्चे उनके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे.