सरकार द्वारा बीती 31 दिसंबर तक मानव संपदा पोर्टल पर प्रदेश के 8,33.510 राज्यकर्मियों से अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने के आदेश दिये गये थे। धीरे धीरे चेतावनी के साथ समय भी दिया जाता रहा उसके बावजूद अभी तक 6,89.826 कर्मियों के कुल 83 प्रतिशत ने ही अपनी संपत्ति का ब्यौरा अब तक दिया हैं। और लगभग 1,43,684 लगभग 17 प्रतिशत कर्मियों द्वारा अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया गया है। योगी सरकार के कड़े निर्देशों के बावजूद लगभग डेढ लाख राज्यकर्मियों के द्वारा अभी तक अपनी चल अचल संपत्ति का ब्यौरा ना दिये जाने से नाराज सरकार ने 28 फरवरी 2025 तक मानव संपदा पोर्टल पर अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने के आदेश दिये है। इस मामले में प्रदेश के मुख्यसचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा भी असंतोष व्यक्त करते हुए सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव से लेकर विभाग अध्यक्षों को कार्मिक विभाग के जारी शासन आदेश में ब्यौरा देने के निर्देश दिये गये है।
इतने महत्वपूर्ण मामले में अभी तक सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपनी संपत्ति का ब्यौरा न देकर सरकार के आदेशों की अवहेलना क्यों की जा रही है यह तो वो ही जान सकते है। और अब अगर 28 फरवरी तक उनके द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया जाता तो मार्च माह का वेतन न देने की दी गई चेतावनी का लागू होना पक्का है। अब सवाल यह उठता है कि दिन रात विभिन्न प्रकार के विवरण इक्ट्ठा कर उन्हें कम्पयूटर पर एकत्रित कर सही प्रकार संग्रहित करने वाले यह सरकारी कर्मचारी और अधिकारी अपनी चल अचल संपत्ति का ब्यौरा क्यों नहीं दे रहे है। इसके दो ही मतलब हो सकते है या तो वो सरकार के आदेश को कोई महत्व ही नहीं देते है अथवा उनकी चल अचल संपत्ति नौकरी में आने के बाद इतनी बढ़ गई जिसका ब्यौरा दे पाना संभव नहीं है या वो देना नहीं चाहते। ऐसे में मेरा मानना है कि अगर 28 फरवरी तक इनके द्वारा ब्यौरा नहीं दिया जाता तो जिस प्रकार से सरकार अन्य मामलों में आय से ज्यादा संपत्ति होने की जांच कराती है ब्यौरा ना देने वाले सभी कर्मचारियों को उस श्रेणी में डालकर आय से ज्यादा संपत्ति को ध्यान में रखकर जांच कराये और कार्रवाई करें। क्योंकि अगर आम जनता में यह संदेश जाता है कि शासन और सरकार के आदेश तो कर्मचारी नहीं मानते तो वो परिस्थिति सही नहीं कही जा सकती। सरकार के समक्ष भी कई प्रकार की समस्याऐं ऐसी परिस्थितियों में उत्पन्न होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
आय से ज्यादा संपत्ति के समान हो संपत्ति का ब्यौरा ना देने वालों की जांच
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